एक समाजसेवा ऐसी भी : गरीबों को फ्री में खाना खिला रहा 'सेवा किचन'

A social service : Youth started sewa kitchen for the poor
एक समाजसेवा ऐसी भी : गरीबों को फ्री में खाना खिला रहा 'सेवा किचन'
एक समाजसेवा ऐसी भी : गरीबों को फ्री में खाना खिला रहा 'सेवा किचन'

डिजिटल डेस्क,नागपुर। कहते हैं दूसरों की सेवा करना सबसे बड़ा धर्म होता है। अपने लिए तो सभी जीते हैं, दूसरों की मदद करने के लिए कम ही लोग आगे आते है, लेकिन नागपुर के खुशरु पोचा उन शख्सों में शामिल है जो दूसरों के दर्द को समझते है। यही कारण है कि उन्होंने गरीब लोगों की सेवा करने का बीड़ा उठाया। खुशरु गरीबों के लिए खाने का इंतजाम करते हैं।  गरीबों के लिए शुरु की गई इस फ्री सेवा को उन्होंने नाम दिया है "सेवा किचन"।

दूसरों के दर्द को समझा अपना
खुशरू पोचा कहते हैं कि जब मेरी मदर हॉस्पिटल में एडमिट थीं तब मैंने देखा कि कई मरीज तथा उनके परिजनों के पास भोजन के लिए पैसा नहीं होता था। उनकी ऐसी हालत देखकर मन में ख्याल आया कि ऐसा सामाजिक कार्य किया जाए जिससे सभी को पेट भरने के लिए भोजन मिल सके। तभी से शुरू हुआ हमारे "सेवा किचन" का सफर। आज "सेवा किचन" के जरिए हम न केवल शहर में बल्कि हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई के अलावा लगभग 20 शहरों के हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 

खुशरू पोचा पिछले तीन साल से "सेवा किचन" चला रहे हैं। शहर के लगभग 10 से ज्यादा हॉस्पिटल में मरीजों तथा उनके परिजनों को संडे टू संडे भोजन दिया जा रहा है। साथ ही कई समाजसेवी संस्थाएं ऐसी हैं, जहां हॉस्पिटल में डेली भोजन की व्यवस्था फ्री दी जाती है।


नेकी की पोटली में मिलता है भोजन
खुशरू पोचा ने बताया कि हमारे द्वारा "नेकी का पिटारा, नेकी की पोटली" नाम से फ्रिज रखे गए हैं, जिसमें फल, जूस, दूध के साथ कई पोषक तत्व रखे गए हैं। शहर के कई हॉस्पिटल में इन्हें रखा गया है, ताकि जिन मरीजों को इन चीजों की जरूरत है और वे नहीं खरीद सकते, उन्हें यह मिल सके। 10 नेकी का पिटारा में से नागपुर में 4, बंगलुरु में 1, दिल्ली में 1, हैदराबाद में 3 तथा ठाणे में 1 रखा गया है। हमारी संस्था में लगभग 500 सदस्य हैं, जो बिना किसी से डोनेशन लिए काम करते हैं। हमारी डोनेट कार्ड नामक वेबसाइट से भी भोजन उपलब्ध कराया जाता है।



सेवा की दृष्टि से करते हैं काम
हमारे द्वारा यह कार्य सेवा की दृष्टि से किया जाता है। अन्नदान महादान है, हम तो बस इसी बात को मानते हैं। हमारी कोई संस्था नहीं है। मेरे घर के किचन में रोज सुबह से भोजन बनना शुरू हो जाता है। 12 बजे से मरीजों के परिजन हमारे इंतजार में रहते हैं। भोजन के पैकेट अलग-अलग बनाकर देते हैं, जिसमें दाल, चावल, सब्जी, रोटी, सलाद भी होता है। मरीजों के लिए अलग से खिचड़ी और परहेज का भोजन भी दिया जाता है, जिससे उनका स्वास्थ्य ठीक रहे।
 

Created On :   22 Nov 2017 11:44 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story