एडीजे का सांकेतिक धरना समाप्त, कहा, ‘नहीं चाहता मामले का राजनीतिकरण हो’

ADJ ended his 3 days symbolic protest says he does not want this issue to be politicised
एडीजे का सांकेतिक धरना समाप्त, कहा, ‘नहीं चाहता मामले का राजनीतिकरण हो’
एडीजे का सांकेतिक धरना समाप्त, कहा, ‘नहीं चाहता मामले का राजनीतिकरण हो’

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। प्रदेश की न्यायपालिका की तबादला नीति और 15 माह में 4 ट्रांसफरों के विरोध में पिछले तीन दिनों से चल रहा धरना एडीजे आरके श्रीवास ने गुरुवार को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि यह उनका सांकेतिक प्रदर्शन था, लेकिन अब वे नहीं चाहते कि इस मामले का राजनीतिकरण हो। इसी वजह से वे अपना धरना समाप्त कर रहे हैं।

हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि इंसाफ पाने की आस उन्होंने अभी नहीं छोड़ी है। हाईकोर्ट में उनकी सुनवाई नहीं हो रही, इसीलिए वे अब देश केचीफ जस्टिस के सामने गुहार लगाएंगे। पत्रकारों से चर्चा करते हुए श्रीवास ने कुछ उदाहरण देकर बताया कि एक तरफ तो मेरे 15 माह में चार ट्रांसफर किए गए। वहीं दूसरी तरफ निचली अदालतों में कुछ ऐसे भी जज हैं, जिनका कार्यकाल एक ही स्थान पर 5 से 7 साल तक का रहा। नियम कानून उन जजों के लिए नहीं होते। ऐसा रवैया पक्षपातपूर्ण है। 

जब पद ही नहीं थे, तो क्यों कराए इंटरव्यू
श्रीवास के अनुसार सीनियर सिविल जज से डिस्ट्रिक्ट जज (एन्ट्री लेवल) पर पदोन्नति को लेकर आयोजित परीक्षा में वे शामिल हुए थे। परीक्षा में उनके साथ कुल 28 लोग पास हुए थे। इसके बाद 29 जनवरी 2016 हाईकोर्ट की ओर से तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल की ओर से कहा गया अभी कोई भी पद खाली नहीं है। जबसे उन्होंने इस बात का विरोध किया, तभी से उनको प्रताड़ित करने के इरादे से तबादले की राजनीति शुरु कर दी गई।

काम करने के इनाम में मिला ‘सी’ ग्रेड
उनका कहना था कि धार में पदस्थ रहने के दौरान उनके कार्यदिवस 7.86 रहे। इसी तरह लोक अदालत में उन्होंने 1480 मुकदमों का निराकरण किया। इसके बाद भी उन्हें वार्षिक चरित्रावली में ‘सी’ ग्रेड और एडवर्स रिमार्क दिया गया। वहीं जिनका प्रतिदिन का औसत कार्य 5.91 और वास्तविक कार्यदिवस 6.21 थे और जिन्होंने लोक अदालत में मात्र 90 मुकदमें निपटाए, उन्हें एसीआर में ‘बी’ ग्रेड देकर नवाजा गया। उन्होंने कहा कि इसे अन्याय नहीं तो और क्या कहेंगे।

जांच हुई तो दोषी नहीं बचेंगे
उन्होंने कहा कि अभी भी हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से उनके आरोपों की जांच को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया है। उनका दावा है कि मेरे आरोपों की जांच होने पर हाईकोर्ट के वे अधिकारी निश्चित रूप से दोषी पाए जाएंगे, जो तबादला नीति की आड़ में मनमानियां कर रहे हैं।

Created On :   3 Aug 2017 4:39 PM GMT

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