निजी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटे में हुए सभी 261 एडमिशन संदिग्ध

All medical admissions suspected of NRI quota in private medical colleges
निजी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटे में हुए सभी 261 एडमिशन संदिग्ध
निजी मेडिकल कॉलेजों में NRI कोटे में हुए सभी 261 एडमिशन संदिग्ध

डिजिटल डेस्क जबलपुर। प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों में इस बार एनआरआई (अनिवासी) कोटे के तहत 261 एडमीशन हुए हैं। इन एडमीशनों को लेकर मेडिकल यूनिवर्सिटी इस बात की कवायद कर रही है कि इनमें नियमों का पालन तथा पात्रों को ही जगह दी गई है या फिर बड़ी रकम का लेन-देन कर अपात्रों को चुना गया है। परेशानी की बात यह है कि शिक्षा विशेषकर मेडिकल में प्रवेश के लिए एनआरआई किसे माना जाए, इसके लिए कोई निश्चित प्रावधान नहीं है। 2016 तक उसे भी इस कोटे के तहत प्रवेश के लिए पात्र माना जाता था, जिसका कोई रिश्तेदार विदेश में है और वह विदेशी मुद्रा में ही फीस का भुगतान करता है। इस साल से नियमों में कुछ बदलाव हुआ, वहीं सरकार की ओर से इसका कोई स्पष्ट नोटिफिकेशन नहीं किए जाने से भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अब मेडिकल यूनीवर्सिटी प्रशासन ने एमसीआई और डीएमई को पत्र लिखकर इस संबंध में स्पष्ट नियम की जानकारी मांगी है।
अलग-अलग परिभाषा
साधारण तौर पर एनआरआई का आशय विदेश में रहने वाले भारतीय नागरिक से होता है, लेकिन अलग-अलग विभागों में इसका दीगर विश्लेषण है। मेडिकल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. आरएस शर्मा ने बताया कि 2016 तक इस कोटे के तहत एडमीशन लेने के िलए उम्मीदवार के िकसी रिश्तेदार का विदेश में होना और वहीं की मुद्रा में फीस भुगतान किया जाना ही पर्याप्त माना जाता था। बाद में इसमें कुछ बदलाव हुए, लेकिन सरकार ने इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं दिए, जिसके कारण इस कोटे में अपात्रों को जगह मिलने की गुंजाइश बनी हुई है। उनके अनुसार आयकर विभाग विदेश में रहने वाले भारतीय या इसके रक्त संबंधी के विदेश में रहने को एनआरआई की श्रेणी में रखता है।
सभी शक के दायरे में
डॉ. शर्मा ने बताया कि निजी कालेजों द्वारा कई रिमाइंडर देने के बाद इस कोटे के तहत दिए गए एडमीशनों की सूची भेजी है, इनकी प्राथमिक जांच में सभी को संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है। इस संबंध में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को पत्र लिखकर नियमों के संबंध में दिशा-निर्देश चाहे गए हैं, जिससे यह तय हो सके कि निजी कालेजों द्वारा दिए गए एडमीशन में किसे सही व गलत माना जाए।
एमबीबीएस में सर्वाधिक
प्रदेश के किसी भी सरकारी मेडिकल कालेज में एनआरआई कोटे के तहत एक भी एडमीशन नहीं हुआ है। वहीं निजी कालेजों में हुए 261 में से सर्वाधिक 216 एमबीबीएस के हैं। अन्य में 37 एमडी-एमएस, 5 बीडीएस और 3 एमडीएस के हैं, फिलहाल सभी को संदिग्ध की श्रेणी में ही रखा गया है । वाइस चांसलर डॉ. शर्मा ने बताया कि उन्होंने डीएमई को पत्र लिखकर कालेजों द्वारा इस कोटे के तहत भेजी गई जानकारी को क्रास चेक करने का भी आग्रह किया है, इसका कारण कालेजों द्वारा डीएमई तक इसकी सही जानकारी नहीं भेजना है। डॉ. शर्मा के अनुसार एक सप्ताह में डीएमई और एमसीआई से गाइडलाइन मिलने के बाद कोटे के तहत हुए एडमीशनों में यह तय कर लिया जाएगा कितने सही हैं और कितने गलत।

 

Created On :   3 Nov 2017 7:41 AM GMT

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