हाईकोर्ट ने कहा, एक ही मुद्दे पर बार-बार चार्जशीट नही

An invetigation officer is not capable for this case, Says The High Court
हाईकोर्ट ने कहा, एक ही मुद्दे पर बार-बार चार्जशीट नही
हाईकोर्ट ने कहा, एक ही मुद्दे पर बार-बार चार्जशीट नही

दैनिक भास्कर न्यूज़ डेस्क, जबलपुर। एक अहम फैसले में हाईकोर्ट ने कहा है कि एक ही मुद्दे पर किसी कर्मचारी को बार-बार चार्जशीट नहीं दी जा सकती। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस संजय यादव की युगलपीठ ने जबलपुर में पदस्थ एक इंस्पेक्टर की अपील सुनवाई के बाद मंजूर करते हुए उसको एक ही आरोप पर तीसरी बार दी गई चार्जशीट निरस्त कर दी।

युगलपीठ ने यह फैसला पुरुषोत्तम पाण्डेय की ओर से दायर अपील पर दिया। इस मामले में आवेदक का कहना था कि उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू हुई और पुलिस महानिरीक्षक ने उनकी पदावनति के आदेश दिए। इस आदेश की वैधानिकता को चुनौती देकर एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई। 15 मार्च 2013 को हाईकोर्ट ने उक्त चार्जशीट रद्द कर दी थी। अपने फैसले में एकलपीठ ने माना था कि जिस अधिकारी ने चार्जशीट दी है, वे उसके लिए सक्षम नहीं थे।

हालांकि पुलिस विभाग को एकलपीठ ने स्वतंत्रता दी थी कि वे चाहें तो विधि अनुसार कार्रवाई कर सकते हैं। इसके बाद उन्हीं आरोपों के तहत आवेदक को एक नई चार्जशीट सहायक पुलिस महानिरीक्षक (स्पेशल ब्रांच) भोपाल ने 21 मई 2014 को जारी की, लेकिन आवेदक के जवाब के बाद वह चार्जशीट 25 सितंबर 2014 को वापस ले ली गई। इसके बाद आवेदक को तीसरी बार चार्जशीट 20 फरवरी 2015 को दी गई, जिसे आवेदक ने फिर से हाईकोर्ट में चुनौती दी।

एकलपीठ ने 17 अगस्त 2016 को अपना फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ यह अपील दायर की गई। मामले पर हुई सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अपना फैसला देते हुए कहा कि जब एक बार आवेदक के जवाब पर दूसरी चार्जशीट विभाग ने वापस ले ली थी, तब उन्हीं आधारों पर उसे फिर से चार्जशीट नहीं दी जा सकती। इस मत के साथ युगलपीठ ने तीसरी चार्जशीट खारिज कर दी।

Created On :   25 Jun 2017 5:28 AM GMT

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