केंद्र वैवाहिक रेप को अपराध मानने के खिलाफ, कहा – इससे पति होंगे प्रताड़ित

Centre tells Criminalising marital rape may destabilise institution of marriage
केंद्र वैवाहिक रेप को अपराध मानने के खिलाफ, कहा – इससे पति होंगे प्रताड़ित
केंद्र वैवाहिक रेप को अपराध मानने के खिलाफ, कहा – इससे पति होंगे प्रताड़ित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैवाहिक रेप के मामले में केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इसे अपराध नहीं माना जा सकता, अन्यथा ऐसी घटनाओं की शिकायतें इतनी बढ़ जाएंगी कि विवाह जैसी संस्था की नींव ही हिल जाए। यही नहीं, पतियों के उत्पीड़न के लिए यह एक आसान उपाय बन सकता है।

सरकार का यह हलफनामा उन कई याचिकाओं के जवाब में आया है, जिसमें पत्नी की मर्जी के बिना उससे यौन संबंध बनाने को रेप माने जाने की मांग की गई है। हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट और कई राज्यों के हाईकोर्ट आईपीसी की धारा 498ए (शादीशुदा महिला का पति या ससुरालवालों के द्वारा उत्पीड़न) के दुरुपयोग का जिक्र कर चुके हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच के समक्ष पेश जवाब में केंद्र ने इस मामले में विभिन्न राज्य सरकारों का पक्ष सुनने की भी अपील की है, ताकि मामले की सुनवाई के दौरान कोई समस्या पेश न आए। केंद्र की ओर पेश सरकारी वकील मोनिका अरोड़ा ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना होगा कि वैवाहिक रेप इस कदर प्रचलित घटना न बन जाए कि इससे विवाह जैसी संस्थागत व्यवस्था की नींव ही हिल जाए और यह पति को प्रताड़ित करने का एक आसान जरिया भी बन जाए।’

सरकारी वकील का जवाब धारा 375 को अवैधानिक करार देने की अपील करते हुए दाखिल कुछ याचिकाओं के संबंध में आया है। इन याचिकाओं में कहा गया है इस धारा से शादीशुदा महिलाओं का उनके पति के द्वारा किया जाने वाला यौन उत्पीड़न गैर आपराधिक श्रेणी में आ जाता है। याचिकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्जाल्वेज ने कहा कि शादी केवल पत्नी के साथ के अपनी मर्जी से यौन संबंध कायम करने का पति को मिला लाइसेंस नहीं है। उन्होंनें कहा कि पत्पी को भी अपने शरीर पर उतना ही अधिाकार है, जितना एक गैर शादीशुदा महिला को अपने शरीर पर। मामले की सुनवाई बुधवार को भी होगी। 

केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि वैवाहिक रेप को कानून में परिभाषित नहीं किया गया है। जबकि रेप को एक अपराध के रूप में धारा 375 में परिभाषित किया गया है। ऐसे में वैवाहिक रेप को एक अपराध घोषित करने से पहले समाज में इसको लेकर व्यापक बहस होनी चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है कि किसी पत्नी के लिए वैवाहिक रेप के मायने किसी दूसरी विवाहित महिला से बिल्कुल अलग हो सकते हैं। इसमें यह कहा गया है कि किसे वैवाहिक रेप मानें और किसे नहीं, इस बारे में जब तक एक स्पष्ट सीमा रेखा नहीं बनाई जाएगी, जबकि वैवाहिक यौन संबंध को अपराध का दर्जा देना असंगत होगा।

 

Created On :   29 Aug 2017 2:35 PM GMT

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