पाकिस्तान से आकर कश्मीर में बसे लोगों ने दी धारा 35A को चुनौती

Challenge to Article 35A in Supreme Court by pakistani kashmiri
पाकिस्तान से आकर कश्मीर में बसे लोगों ने दी धारा 35A को चुनौती
पाकिस्तान से आकर कश्मीर में बसे लोगों ने दी धारा 35A को चुनौती

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। सन 1947 में भारत-पाक बंटवारे के समय पश्चिमी पाकिस्तान से आकर जम्मू-कश्मीर में बसे शरणार्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान की धारा 35A को चुनौती दी है। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेष अधिकार और लाभ मिलते हैं। याचिका में कहा गया है विभाजन के समय तीन लाख से ज्यादा लोग पश्चिमी पाकिस्तान से आ कर जम्मू-कश्मीर और देश के अन्य भागों में बस गए थे। 

राष्ट्रपति के आदेश पर संविधान में शामिल हुई धारा 35A
उनमें से जो लोग जम्मू-कश्मीर में बसे, उन्हें अनुच्छेद 35A के तहत वह अधिकार नहीं मिले, जो राज्य के मूल निवासियों को प्राप्त हैं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई चन्द्रचूड़ ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में बसे, इन शरणार्थियों की याचिका को इस मामले से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ शामिल कर लिया। जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुरोध पर कोर्ट ने तय किया है कि अनुच्छेद 35A को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दीपावली के बाद सुनवाई की जाएगी। 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के बाद धारा 35A को संविधान में शामिल किया गया। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेषाधिकार प्रदान करता है। 

शरणार्थी बन कर रह गए हैं पाकिस्तान से आए लोग
कश्मीरी पंडित समाज की महिला डॉक्टर चारू डब्ल्यू खन्ना ने भी कोर्ट में इस प्रावधान को चुनौती दी है। याचिका दायर करने वाले काली दास, उनके पुत्र संजय कुमार और एक अन्य ने अपने आवेदनों में कहा है कि वह अपने लिए मूल नैसर्गिक और मानवाधिकार चाहते हैं, जो फिलहाल उन्हें प्राप्त नहीं हैं। याचिका में कहा गया है, ‘‘याचिका दायर करने वाले वे लोग हैं, जो 1947 में पाकिस्तान से आ कर भारत में बस गए। सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उन्हें राज्य का स्थाई निवासी प्रमाणपत्र दिया जाएगा। यह प्रमाणपत्र उन्हें राज्य में संपत्ति और अपना मकान खरीदने, सरकारी नौकरी पाने, आरक्षण का लाभ लेने और राज्य तथा स्थाई निकाय चुनावों में वोट डालने का अधिकार देगा। यहां बसने वाले ज्यादातर लोग अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), OBC अन्य पिछला वर्ग श्रेणी से आते हैं। मूल नागरिक के अधिकार नहीं मिलने की वजह से वे राज्य में शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं।

Created On :   10 Sep 2017 3:19 PM GMT

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