छठ पर्व : आज खरना, पूरे दिन रखेंगे निर्जला उपवास

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छठ पर्व : आज खरना, पूरे दिन रखेंगे निर्जला उपवास
छठ पर्व : आज खरना, पूरे दिन रखेंगे निर्जला उपवास

डिजिटल डेस्क, पटना।  छठ पर्व पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश व नेपाल के तराई क्षेत्रों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाने वाला पर्व है। इस पर्व को महिला और पुरुष समान रूप से मनाते हैं। महिलाएं दर्शन देहू न अपार हे छठी मैया..उग हे सूरजदेव अरघ के बेरिया.. सुन ल अरजिया हमार हे छठी मैया...गाते हुए घाट पर एकत्रित होकर सूर्य को अर्घ्य देती है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है। त्योहार के पहले दिन यानि चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के रूप में मनाया जाता है। दूसरे दिन यानि पंचमी को खरना व्रत किया जाता है। सूर्योपासना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय के साथ मंगलवार 24 अक्टूबर से शुरू हो गया। 

इन चीजों के बगैर नहीं पूरी होगी पूजा

जो युवतियां पहली बार छठ पूजा में शामिल हो रही हैं उनके लिए यह जान लेना जरूरी है कि छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए किन चीजों से अर्ध्य द‌िया जाता है। बता दें कि इनमें 6 चीजें ऐसी होती हैं ज‌िनके ब‌िना छठ पूजा पूरी नहीं होती है। कहा जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। छठी मैया इस पूजा से प्रसन्न होकर नि:संतान को संतान देती और संतान की रक्षा करती हैं।

1-छठ पूजा में सबसे जरूरी चीज है बांस का सूप, जिसमें अर्घ्य का सामान रखा जाता है।  
2-छठ पर्व का प्रमुख प्रसाद ठेकुआ, जिसे गुड़ और गेहूं के आटे से मिलाकर बनाया जाता है।  
3-तीसरी चीज है गन्ना, जिससे घाट पर घर भी बनाया जाता है और उसी से अर्घ्य भी द‌िया जाता है। 
4-छठ पूजा में केले का पूरा गुच्छा छठ मइया को भेंट किया जाता है।
5-छठ पूजा में नारियल का भी विशेष विशेष महत्व होता है।
6-छठ पूजा में दूध को जल में मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।


छठ पूजा और ‘अर्घ्य’ का शुभ मुहूर्त
 
छठ पूजा के दिन सूर्यादय – 06:41 बजे सुबह

छठ पूजा के दिन सूर्यास्त- 06:05 बजे शाम

 

महत्वपूर्ण तिथि

24 अक्टूबर मंगलवार को "नहाय-खाय" 

25 अक्टूबर बुधवार को "खरना"

26 अक्टूबर गुरूवार को अस्ताचलगामी (डूबते) सूर्य को अर्घ्य 

27अक्टूबर शुक्रवार को उदीयमान (उगते) सूर्य को अर्घ्य

 

क्या है मान्यता  

हिन्दू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व है, छठ पर्व सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन है, इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने के लिए सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है, जिसमें लिखा है कि पांडवों की माता कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम कर्ण था। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने के लिए छठ व्रत की थी। 

बता दें कि इस दिन शाम के समय व्रत रखऩे वाली महिलाएं प्रसाद के रूप में खीर और गुड़ के अलावा फल आदि का सेवन करती हैं। इसके साथ ही अगले 36 घंटे के लिए निर्जला व्रत रखा जाता है। छठ पूजा की अहम तिथि षष्ठी को किसी नदी या जलाशय के में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन होता है। साथ ही खरना पूजन से छठ देवी खुश होती हैं और घर में वास करतीं हैं। 

स्कंद पुराण में यह है लिखा

स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था, क्योंकि उन्हें चर्म रोग हो गया था। जिसके बाद भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा की गई है। कहा यह भी जाता है कि राजा और रानी ने महर्षि कश्यप की सहायता से सन्तान प्राप्ति के लिए बहुत बड़ा यज्ञ किया। यज्ञ के प्रभाव के कारण उनकी पत्नी गर्भवती हो गई, लेकिन 9 महीने बाद उन्होंने मरे हुए बच्चे को जन्म दिया। जिससे राजा बहुत दुखी हुआ और उसने आत्महत्या करने का  प्रयास भी किया। जब राजा आत्महत्या करने जा रहा था तो उसी दौरान राजा के सामने एक देवी प्रकट हुई और कहा कि "मैं देवी छठी हूं और जो भी कोई मेरी पूजा शुद्ध मन और आत्मा से करता है वह सन्तान अवश्य प्राप्त करता है।

 

इसके बाद राजा प्रियव्रत ने वैसा ही किया और उसे देवी के आशीर्वाद स्वरुप सुन्दर और प्यारी संतान की प्राप्ति हुई। तभी से लोगों ने छठ पूजा को मनाना शुरु कर दिया। वर्षकृत्यम में भी छठ की चर्चा है। वहीं अथर्ववेद में लिखा है कि भगवान भास्कर की मानस बहन हैं षष्ठी देवी। प्रकृति के छठे अंश से षष्ठी माता उत्पन्न हुई हैं। उन्हें बालकों की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु द्वारा रची माया भी माना जाता है। बच्चे के जन्म के छठे दिन भी षष्ठी मइया की पूजा की जाती है।

 

वैदिक मान्यता है कि नहाए-खाए से सप्तमी तक माता की कृपा उन भक्तों पर बरसती है जो श्रद्धापूर्वक व्रत करते हैं। नहाय-खाए में लौकी की सब्जी और अरवा चावल के सेवन का खास महत्व है।

Created On :   21 Oct 2017 3:36 PM GMT

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