बाढ़ प्रभावित गांवों में डोंगा में बैठकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

Children are going to school in donga in flood affected villages
बाढ़ प्रभावित गांवों में डोंगा में बैठकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे
बाढ़ प्रभावित गांवों में डोंगा में बैठकर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/चौरई। पेंच परियोजना माचागोरा बांध के डूब क्षेत्र के पुनर्वास के गांव फिर डूब क्षेत्र में आ गए हैं । यहां के जिन 35 बच्चों में पढ़ाई करने का जज्बा हैं वे रोज अपनी जान जोखिम में डालकर डेढ़ दो किलोमीटर तक लकड़ी की डोंगा में बैठकर हिवरखेड़ी हाईस्कूल आते हैं। लगातार बढ़ते जलस्तर के बीच पुनर्वास के लिए बसाए गए गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। पानी से घिरे धनौरा और बारहबरियारी के 35 बच्चों को लकड़ी को डोंगा में बैठकर हिवरखेड़ी हाईस्कूल आना पड़ रहा है। लकडिय़ों को जोड़कर बनाए गए डोंगे से आवाजाही बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। 

माचागोरा बांध को इस बार पूरा भरने की तैयारियां की जा रही है। बांध का पानी डूब के गांवों तक पहुंच गया है। पुनर्वास के लिए बसाए गए धनौरा और बारहबरियारी गांव तीन ओर से पेंच बांध के पानी से घिर गए हैं। धनौरा और बारहबरियारी गांव के 35 से अधिक बच्चे हिवरखेड़ी आते हैं। दोनों गांव से हिवरखेड़ी के सड़क संपर्क खत्म हो गया है। बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए धनौरा और बारहबरियारी के कुछ लोग डोंगा नाव का संचालन कर रहे हैं। गांव के अन्य लोग भी आने जाने के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं।

सुरक्षित नहीं हैं डोंगा का सफर
लकडिय़ों को आपस में जोड़कर डोंगा बनाया जाता है। कम गहराई वाले तालाब में सिंघाड़ा तोड़ने और मछली पकड़ने के लिए इसका उपयोग होता है। गहरे पानी में यह सुरक्षित नहीं माना जाता। चार साल पहले चौरई के सांख और हलाल के बीच पेंच नदी में चलने वाली एक डोंगा नाव के पलटने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। 

स्कूल का किराया 20 रुपए
डोंगा और नाव संचालक बच्चों को धनौरा, बारहबरियारी से हिवरखेड़ी पहुंचाने के लिए 10 रुपए लेते हैं। गांव से स्कूल जाने और आने में बच्चों को प्रतिदिन 20 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।

Created On :   13 Sep 2017 10:12 AM GMT

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