चित्रकूट को 22 साल बाद फिर बंधी विकास प्राधिकरण की उम्मीद !

Chitrakoot will be again a development authority after 22 years
चित्रकूट को 22 साल बाद फिर बंधी विकास प्राधिकरण की उम्मीद !
चित्रकूट को 22 साल बाद फिर बंधी विकास प्राधिकरण की उम्मीद !

डिजिटल डेस्क,सतना। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के सरहद पर स्थित पवित्र तीर्थ स्थल चित्रकूट को पूरे 22 वर्ष बाद एक बार फिर से विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (SADA) की उम्मीद बंधी है। हाल ही में 2 दिन के चित्रकूट प्रवास पर आए सीएम शिवराज सिंह चौहान के इस आशय के ऐलान का संत समाज के साथ चौतरफा स्वागत हो रहा है। 

बताया जा रहा है कि महाकाल की नगरी उज्जैन की तरह श्रीराम के पावन तपोधाम चित्रकूट के सुनियोजित विकास के लिए सीएम का शिव संकल्प जल्दी ही फलीभूत होगा। बता दें कि हर साल लाखों लाखों श्रद्धालुओं के चित्रकूट पहुंचने के कारण इसे फ्री जोन घोषित करने की मांग भी उठती रही है। 

18 वर्ष वजूद में रहा साडा
गौरतलब है चित्रकूट के 84 कोस के सुरम्य और नैसर्गिक भू भाग पर स्थित त्रेता युगीन अनगिनत रामायण कालीन ,पौराणिक और पुरातात्विक महत्व के धार्मिक स्थलों के समग्र विकास के लिए वर्ष 1977 में चित्रकूट में विशेष विकास प्राधिकरण की स्थापना की गई थी। इसमें 7 पंचायतों के 18 गांव शामिल किए गए थे। साडा 18 वर्ष तक वजूद में रहा, लेकिन राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते अंतत: चित्रकूट में SADA बच नहीं पाया। चित्रकूट के 3 बड़े हलकों पालदेव, लालापुर और सेजवार को अलग-अलग पंचायतों का दर्जा देते हुए वर्ष 1995 में चित्रकूट नगर परिषद की स्थापना की गई थी।  

फिर गहराने लगा धन संकट 
चित्रकूट से विकास का विशेष दर्जा छिनने के साथ ही विकास के लिए पैसों का संकट गहराने लगा। नगर पंचायत की प्रथम अध्यक्ष स्व.रेखा शर्मा से लेकर क्रमश: बतौर अध्यक्ष अशोक साहू , निलांशु चतुर्वेदी और मौजूदा अध्यक्ष प्राची राजे चतुर्वेदी के अथक प्रयासों के बाद भी कदम-कदम पर बजट के संकट के कारण विकास को अपेक्षित धार नहीं मिल पाई। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 23 हजार 301 आबादी वाले चित्रकूट नगर पंचायत क्षेत्र में 15 वार्ड हैं। कुंभ, दीपावली और अमावस्या के मौकों पर देश के कोने-कोने से लाखों लाख श्रद्धालु इस पवित्र स्थल पर पुण्य लाभ लेने पहुंचते हैं। इस दौरान भक्तों की सुविधा और सुरक्षा एक बड़ी चुनौती होती है। 

अनुदान महज 3 करोड़
चित्रकूट के विकास में आर्थिक संकट का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सालाना शासकीय अनुदान महज 3 करोड़ है। इसी तरह विभिन्न मदों से नगर परिषद की वार्षिक आय भी 16 करोड़ से ज्यादा नहीं है। परिषद के पास नयागांव, क्षीर, पोखरवार, केउटरा, लोसरिहा, ऊधोपुरवा, पथरा, सुरांगी, पड़हा, रजौला, मोहकमगढ़, कामता, कुर्मियान पुरवा, सती अनुसुइया, चौबेपुर, लोधन टिकुरा, जानकीकुंड, प्रमोदवन और थर पहाड़ जैसे दस्यु प्रभावित जंगली इलाकों में सड़क,बिजली-पानी जैसे आवश्यक नागरिक प्रबंध सुनिश्चित करने की जवाबदेही भी है। 

समाजसेवियों का कहना है कि धार्मिक स्थल चित्रकूट समग्र विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन से ही संभव है। ये नितांत आवश्यक है। सीएम की घोषणा का स्वागत है। दो राज्यों के संधिस्थल पर स्थित चित्रकूट के विकास के लिए कुछ ऐसे उपाय होने चाहिए कि सीमा विवाद बीच में नहीं आए। वहीं कुछ उद्यमियों का कहना है कि चित्रकूट को विकास के लिए विशेष क्षेत्र का दर्जा मिलने से बहुआयामी विकास और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। श्रद्धालुओं को अधिकतम सुविधाओं का लाभ मिलेगा। 

Created On :   21 Sep 2017 3:16 AM GMT

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