बिहार में बिखरने की कगार पर कांग्रेस, लगने वाला है बड़ा झटका

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बिहार में बिखरने की कगार पर कांग्रेस, लगने वाला है बड़ा झटका
बिहार में बिखरने की कगार पर कांग्रेस, लगने वाला है बड़ा झटका

डिजिटल डेस्क,पटना। बिहार की राजनीति में पिछले कुछ महीनों से हर दिन एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। महागठबंधन के JDU के अलग होने के साथ ही अब कांग्रेस पार्टी भी टूटने के कगार पर खड़ी है। बिहार में कांग्रेस पार्टी के 14 विधायकों ने अलग अनौपचारिक समूह बना लिया है जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि ये विधायक सत्ताधारी पार्टी JDU में शामिल होने की योजना बना रहे हैं। इन्हें बस इंतजार है पार्टी के और 4 विधायकों के अपने गुट में आने का ताकि अपनी विधायकी कायम रखने के लिए जरूरी दो-तिहाई आंकड़े का इंतजाम हो जाए।
 
आपको बता दें कि बिहार में कुल 27 कांग्रेस विधायक हैं। ऐसे में पार्टी से अलग होकर भी विधायकी बची रहे, इसके लिए कम-से-कम दो तिहाई यानी 18 विधायकों का एक साथ टूटना जरूरी है।

इससे पहले पार्टी में मचे सियासी घमासान के बीच कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी और कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह को गुरुवार को दिल्ली तलब किया था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बिहार कांग्रेस के भीतर जारी टूट की खबरों से अनजान रहने को लेकर प्रदेश के इन दोनों प्रमुख नेताओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए हर हाल में इसे रोकने के लिए कहा है।

महागठबंधऩ का टूटना बना कारण
गौरतलब है कि बिहार में कांग्रेस के 27 विधायकों के अलावा 6 विधान पार्षद भी हैं। इनमें दो एमएलसी अशोक चौधरी एवं मदन मोहन झा तथा दो एमएलए अब्दुल जलील मस्तान एवं अवधेश कुमार, महागठबंधन की सरकार में मंत्री थे। इनके साथ ही कुछ और वरिष्ठ विधायकों को राज्य के विभिन्न बोर्डों और निगमों में जगह मिलने की आस थी, लेकिन नीतीश कुमार के अचानक से महागठबंधन को तोड़कर भाजपा के साथ हाथ मिलाने के फैसले से इन्हें झटका लगा है। जिसके बाद कांग्रेस विधायकों की निराशा अब खुलकर सामने आने लगी है। 

कांग्रेस को टूट का कोई खतरा नहीं
शुक्रवार को कांग्रेस ने नीतीश पर पार्टी तोड़ने का आरोप लगाया लेकिन लगे हाथ यह भी कह डाला कि उसे टूट का कोई खतरा नहीं है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, "हमे कोई खतरा नहीं है। हां, कोशिशें जरूर हुईं,जिनसे बीजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सिद्धांतहीन राजनीति का पर्दाफाश हुआ है। वो नाकामयाब रहे हैं और कांग्रेस अपनी राज्य इकाई या विधायक दल को कमजोर करने की हर कोशिश की कड़ी मुखालफत करती रहेगी।"

हालांकि कांग्रेस अपने आत्मविश्वास का प्रदर्शन कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। पार्टी में टूट की आशंका को लेकर उसकी चिंता 11 अगस्त को ही सामने आ गई जब ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए पटना पहुंच गए। सिंधिया सदानंद सिंह के घर गए ताकि नाराज विधायकों के साथ-साथ खुद सदानंद सिंह का भी मिजाज भांपा जा सके। एक दर्जन से ज्यादा विधायक आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए JDU के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। 
 

Created On :   2 Sep 2017 5:45 AM GMT

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