मध्यावधि कर्ज की परिभाषा बदलने की फिराक में महाराष्ट्र सरकार : कांग्रेस

Congress spokesman Sawant claims: Government to change the definition of mid-term loan
मध्यावधि कर्ज की परिभाषा बदलने की फिराक में महाराष्ट्र सरकार : कांग्रेस
मध्यावधि कर्ज की परिभाषा बदलने की फिराक में महाराष्ट्र सरकार : कांग्रेस

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कांग्रेस ने दावा किया है कि महाराष्ट्र सरकार मध्यावधि कर्ज की परिभाषा बदलने के फिराक में है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि मेरे पास पुख्ता जानकारी है कि सरकार मध्यावधि कर्ज की व्याख्या बदलने के प्रयास में है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार यह फैसला लेती है तो पार्टी कोर्ट जाएगी और सड़कों पर आंदोलन करेगी। 

शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में सावंत ने कहा कि सरकार ने फसल कर्ज और मध्यावधि कर्ज लेने वाले बकायादार किसानों का ऋण माफ करने के लिए शासनादेश जारी किया है। लेकिन मध्यावधि कर्ज लेने वाले ज्यादा किसानों को कर्ज माफी का लाभ न मिल सके, इसके लिए सरकार अब मध्यावधि कर्ज की परिभाषा बदल रही है। जो कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के नियमों के विपरीत है। सावंत ने कहा कि सरकार को 30 जून 2017 तक के बकायादार किसानों को कर्ज माफी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2009 से लेकर 2016 तक कर्ज माफी की घोषणा की है। लेकिन सरकार को सही मायनों में 1 मार्च 2008 से बकायादार किसानों को कर्ज माफी देनी चाहिए। सावंत ने कहा कि खरीफ फसल की बुवाई के लिए 10 हजार रुपए के अग्रिम कर्ज देने की घोषणा की गई थी। लेकिन केवल 24 हजार 131 किसानों को 10 हजार रुपए का अग्रिम कर्ज मिला है।

फडणवीस भूल गए शालीनता 

सावंत ने कहा कि CM देवेंद्र फडणवीस प्रदेश की सत्ता का भार संभालते-संभालते शालीनता और विनम्रता भूल गए हैं। फडणवीस ने मीरा भाईंदर में पार्टी के चुनाव प्रचार सभा में विपक्ष को दलाल कहा। पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में CM ने कर्ज माफी की मांग करने वाली सुकाणु समिति को विषाणु समिति कहा और साथ ही किसानों को देशद्रोही कहा। सावंत ने कहा कि CM पद पर रहते हुए फडणवीस के मुंह से इस तरह की भाषा शोभा नहीं देती है। CM शालीनता और विनम्रता भूल गए हैं। उन्होंने कहा कि CM सोचे की आखिर क्यों उनके खिलाफ विरोध का माहौल बन रहा है।

Created On :   19 Aug 2017 11:29 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story