टंकियों में पड़ीं दरारें, प्लास्टर भी उखड़ रहा, फिर भी सब ठीक है 

cracks in water tank
टंकियों में पड़ीं दरारें, प्लास्टर भी उखड़ रहा, फिर भी सब ठीक है 
टंकियों में पड़ीं दरारें, प्लास्टर भी उखड़ रहा, फिर भी सब ठीक है 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हमारे यहां यही एक विडंबना है कि समय रहते कोई अलर्ट नहीं होता। ऐसा ही हाल नागपुर का है। यहां की पानी की अनेक टंकियां जर्जर हो चुकी है। कुछ में दरारे पड़ीं हैं तो कहीं प्लास्टर भी उखड़ गया है। बावजूद इसके प्रशासन सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहा है। शुद्ध और पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति सुविधा देने का संकल्प पूरा करने के लिए निजी संस्था ऑरेंज सिटी वाटर वर्क्स को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस संस्था ने मनपा जलप्रदाय विभाग की टंकियों समेत अन्य सुविधाओं को अपने हवाले लेकर जलापूर्ति को नियमित करने का प्रयास किया है।

इतना ही नहीं शहर के सभी इलाकों में नागरिकों को 24 घंटे पानी उपलब्ध कराने की योजना को भी क्रियान्वित किया जा रहा है। एक टंकी के निर्माण पर लगभग एक करोड़ रुपए का खर्च आता है। इस प्रोजेक्ट में शहर की 18 पुरानी और जर्जर पुरानी टंकियों की दुरुस्ती के लिए चिह्नित किया गया है। ओसीडब्ल्यू प्रशासन का दावा है कि मनपा से जिम्मा मिलने के बाद करीब 13 टंकियों को पूरी तरह से दुरुस्त किया गया है। इसके अलावा पांच टंकियों की आंशिक रूप से मरम्मत कर उन्हें लीकेज प्रूफ बनाया गया है। हालांकि तमाम दावों के बाद भी वंजारीनगर की 31 साल पुरानी पानी की टंकी को जर्जर और बदहाल देखा जा सकता है। इस टंकी के कई हिस्से पूरी तरह से प्लास्टर छोड़ रहे हैं। हालांकि मनपा का जलप्रदाय दावा करता है कि इस टंकी को दुरुस्ती की जरूरत नहीं है। टंकी पूरी तरह से मजबूत और नियमित जलापूर्ति के लिए तैयार है। 

जलापूर्ति की 68 टंकियां, भगवान भरोसे

मनपा जलप्रदाय विभाग के मुताबिक शहर में 1982 से अब तक जलापूर्ति के लिए पानी की 68 टंकियों का निर्माण किया गया है। प्रत्येक टंकी की जलक्षमता 2.87 एमएलडी यानि 22,70,000 लीटर रखी गई है। प्रत्येक टंकी से करीब 5,000 से 25,000 कनेक्शन के माध्यम से नागरिकों तक जलापूर्ति की जाती है। राज्य सरकार की अमृत योजना में 42 नई टंकियों के निर्माणकार्य को मंजूरी दी गई है, जबकि मनपा की निधि से हुड़केश्वर में भी 4 टंकियों का निर्माण हो रहा है। शहर के मुख्य जलापूर्ति वाले सेमिनरी हिल्स के दो रिजर्व वायर को छोड़कर सभी टंकियों को साल में एक बार पूरी तरह से खाली कर सफाई की जाती है। इसके अलावा समय-समय पर लीकेज सर्वेक्षण कर पूरी तरह से लीकेज प्रूफ भी बनाया जाता है। हालांकि शहर की टंकियों को देखकर सफाई के दावों की पोल खुल जाती है। इन टंकियों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासन की ओर से सफाई और दुरुस्ती में कितनी संजीदगी बरती जा रही है।                        

Created On :   22 Sep 2017 1:32 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story