एग डोनेशन से हो सकता है महिलाओं को मौत का खतरा

Egg donation can lead to death of women
एग डोनेशन से हो सकता है महिलाओं को मौत का खतरा
एग डोनेशन से हो सकता है महिलाओं को मौत का खतरा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। एक समय था जब महिलाएं कई बच्चों को जन्म देने के बाद भी स्वस्थ्य रहती थीं और उनके शरीर में बनने वाले ऐग भी नियमित रुप से बनते थे। आज की जीवनशैली में बहुत कुछ बदल चुका है। आज महिलाएं भी बिगड़ी लाइफस्टाइल का शिकार हो रही हैं, जिसके चलते उन्हें बच्चे पैदा करने संबंधी समस्या का सामना करना पड़ता है। स्त्रीरोग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में उन्हें कृत्रिम गर्भधारण करना पड़ता है। इसमें डोनेशन से मिले एग की अहम भूमिका होती है।

 

 

 

अक्सर देखने में आता है कि महिला या पुरुषों में कुछ शारीरिक समस्याएं हो तो उसका इलाज किया जा सकता है, पुरुषों के स्पर्म से तो आसानी से इस समस्या का निदान हो जाता है, लेकिन महिलाओं के "एग" बड़ी मुश्किल से मिल पाते हैं। इन दिनों "एग डोनेट" करने वाली महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। हालांकि एग डोनेशन आजकल कमाई का जरिया भी बन गया है। सरोगेसी की तुलना में एग डोनेट करना सरल है।

 


बता दें कि भारत में 18 से 35 साल की आयु वर्ग की 10 फीसदी विवाहित महिलओं में बांझपन की शिकायत हैं। अधिकांश मामलों में देखा जाता है कि महिलाओं को ही इसके लिए दोषी ठहराया जाता है। जानकारी के अनुसार एग प्राप्त करने के लिए कम से कम 15 दिन का समय लगता है। इसमें रोजाना एक इंजेक्शन लगाया जाता है। "एग डोनेशन की प्रक्रिया से पहले महिला के खून की जांच व सोनोग्राफी की जाती है। किसी प्रकार की बीमारी न हो इसके लिए उसकी स्क्रीनिंग भी की जाती है।

 

इसके लिए मासिक धर्म की प्रोसेस शुरू होने के पहले स्त्रीबीज बढ़ाने वाले हार्मोन्स के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इसके बाद मासिक प्रक्रिया के चौथे दिन स्त्रीबीज निकाला जाता है। इस पूरी प्रोसेस में करीब 15 दिनों का समय लगता है। जानकारी के लिए बताते चले कि एक साल में बस तीन बार ही एग डोनेट किया जा सकता है। एग डोनेट करने वाली महिलाओं की उम्र 21 से 35 वर्ष होनी चाहिए।  


जांच में आई यह बात सामने

भारत में एग डोनेशन की प्रक्रिया पर दिशा-निर्देश जारी करने वाले सरकारी संस्थान इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के अनुसार, इस प्रक्रिया से पैदा होने वाली मेडिकल जटिलताओं से कऱीब 8 प्रतिशत तक महिलाओं को मौत का ख़तरा होता है। एग डोनेशन के लिए महिला के शरीर में हॉर्मोन पैदा करने वाले इंजेक्शन लगाकर कई अंडों का निर्माण किया जाता है, फिर इन्हीं अंडों को महिला के शरीर से निकाल लिया जाता है और इसे ऐसी महिला के गर्भ में डाला जाता है जिसे बच्चे पैदा करने में समस्या सामने आ रही है।

 

आम तौर पर एक महिला के शरीर में हर महीने दो अंडे बनते हैं। मुंबई का साकीनाका इलाके की रहने वाली एक महिला जिनका नाम प्रमिला है। उनके अनुसार उनकी बेटी एग डोनेशन की प्रक्रिया में मौत का शिकार हो गई। मौत की जांच करने वाले मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में साफ़ लिखा कि "एग डोनेशन से जुड़ी एक जटिलता की वजह से सुषमा की मौत हो गई है।  


   
  

Created On :   23 Nov 2017 5:55 AM GMT

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