आयोग की नीयत पर शक ठीक नहीं, इन वजहों से लिया हिमाचल में पहले चुनाव का फैसला : जोती

factors which led poll panel to hold Himachal elections earlier : CEC
आयोग की नीयत पर शक ठीक नहीं, इन वजहों से लिया हिमाचल में पहले चुनाव का फैसला : जोती
आयोग की नीयत पर शक ठीक नहीं, इन वजहों से लिया हिमाचल में पहले चुनाव का फैसला : जोती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोती ने स्पष्ट किया कि हिमाचल चुनाव कार्यक्रम पहले घोषित करने के पीछे कोई राजनीतिक षड़यंत्र नहीं है, जैसा कि अनेक राजनीतिक दल अनुमान लगा रहे हैं। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा इलेक्शन गुजरात से पहले कराने की मुख्य वजह मौसम रहा है। हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक दलों और राज्य प्रशासन ने मध्य नवंबर के पहले चुनाव कराने का अनुरोध किया था। उनका तर्क था कि विलंब की स्थिति में सूबे के तीन जिलों में बर्फबारी का खतरा पैदा हो जाता है। बर्फ गिरने लगती तो चुनाव प्रक्रिया में बाधा पड़ती। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया जब हमने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया तो राज्य चुनाव आयोग, विभिन्न राजनीतिक दलों और प्रशासन ने बताया चुनाव कार्यक्रम में देर होने से किन्नौर, लाहौल स्फीति और चंबा जिले बर्फबारी की चपेट में आ सकते हैं। इसी लिए चुनाव आयोग ने पहले हिमाचल प्रदेश का चुनाव कार्यक्रम घोषित किया। 

चुनाव कार्यक्रम नहीं करेगा एक दूसरे को प्रभावित 
मुख्य चुनाव आयुक्त जोती ने कहा हिमाचल में जल्दी चुनाव कार्यक्रम घोषित करने की एक और वजह यह है कि हिमाचल और गुजरात सटे हुए राज्य नहीं हैं। चुनाव कार्रक्रम तय करते समय हम हमेशा यह देखने की कोशिश करते हैं कि किसी एक राज्य का वोटिंग पैटर्न दूसरे राज्य के वोटिंग पैटर्न को प्रभावित नहीं करे। हिमाचल प्रदेश में वोटों की गिनती 18 दिसंबर को होनी है। उन्होंने बताया चुनाव आयोग ने गुजरात चुनाव कार्यक्रम इस तरह तैयार करेगा कि इसका हिमाचल प्रदेश के चुनाव कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़े। हमारी पहली प्रतिबद्धता यही है कि हम एक राज्य के चुनाव का दूसरे राज्य के चुनाव पर कोई असर नहीं पड़े। उन्होंने कहा हम गुजरात का चुनाव कार्यक्रम इस तरह तय करेंगे कि वहां हिमाचल के नतीजों से पहले चुनाव संपन्न हो जाएं, ताकि नतीजों से गुजरात में वोटिंग प्रभावित न हो।

चुनाव आयोग की नीयत पर शक ठीक नहीं
मुख्य चुनाव आयुक्त जोती ने 2001 में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी मेमोरंडम का, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी मंजूरी दी है, हवाला देते हुए कहा आयोग को किसी राज्य में तय समय से 3 महीने से ज्यादा पहले चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं करना चाहिए। तारीखों का ऐलान होने के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है। इसलिए अगर राज्यों की सीमाएं सटी हों तब तो यह एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन अगर उनकी सीमाएं सटी नहीं हैं, तो फिर चिंता करने की जरूरत नहीं है। भौगोलिक रूप से एक दूसरे से बहुत दूर होने की वजह से गुजरात और हिमाचल की स्थिति अलग है। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग की नीयत पर शक नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी प्रतिबद्धता दोनों राज्यों में निष्पक्षता से चुनाव कार्यक्रम पूरा कराने की है। यह काम हम ईमानदारी से कर रहे हैं।  

बाढ़ग्रस्त राज्य में ढ़ांचागत सुधार को दिया समय
उन्होंने जुलाई माह में गुजरात के कई हिस्सों में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए कहा भीषण बाढ़ ने राज्य के अनेक इलाकों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया था। इसकी वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हुई और इन्फ्रस्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा। मुख्य चुनाव आयुक्त जोती ने कहा चुनाव की तिथि घोषित करने में विलंब की यह वजह यह भी रही कि हम राज्य सरकार को ढांचागत सुधार पूरा करने के लिए पूरा समय देना चाहते थे। उन्होंने प्रतिप्रश्न किया कि जब सरकारी कर्मचारी पुनरुद्धार के कार्य में लगे हों, तो उनके लिए चुनाव की ड्यूटी करना एक कठिन काम है। हम चुनाव कार्यक्रम घोषित कर देते तो ढ़ाचागत सुधार प्रक्रिया में बाधा पैदा हो जाती, जिसे किसी तरह उचित नहीं कहा जा सकता। बता दें कि जुलाई में गुजरात के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से काफी तबाही हुई थी और 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
 

Created On :   23 Oct 2017 1:00 PM GMT

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