कपास मूल्य वृद्धि की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन, नगर में रैली निकाली

farmers doing rally for demanding increase the cotton price
कपास मूल्य वृद्धि की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन, नगर में रैली निकाली
कपास मूल्य वृद्धि की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन, नगर में रैली निकाली

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/ सौंसर। सौंसर में  किसानों ने कपास मूल्य वृद्धि की मांग करते हुए सरकार के साथ सत्ता व विपक्ष के नेताओं पर भड़ास उतारी। नगर में निकाली रैली में सरकार विरोधी नारे लगाए, तहसील कार्यालय में ज्ञापन देने पहुंचे किसान बंद गेट देख कर उग्र हुए, किसान गेट तोड़ते उसके पहले प्रशासन ने उसे खोल दिया। तहसील प्रांगण में हुई सभा में किसानों ने स्थानीय कपास व्यापारी व प्रशासनिक अधिकारियों पर शोषण का आरोप लगाया। राज्यपाल के नाम प्रशासन को ज्ञापन सौंपने पहुंचे किसानों ने घोषणा की कि उनकी मांग है कपास को प्रति क्विंटल 7 हजार रु. भाव मिले। मांग दो सप्ताह में पूरी नहीं हुई तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन करने के अलावा जनप्रतिनिधियों का भी घेराव करेंगे। सुबह 11 बजे नगर के वार्ड दो स्थित कबीर बुनकर प्रांगण से शुरू हुई रैली गांधी चौक पहुंची, यहां बापू की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किसानों ने संकल्प लिया कि अपनी मांग मनवाने वे सरकार से भी दो-दो हाथ करने को तैयार रहेंगे। किसानों ने राज्यपाल के नाम प्रभारी तहसीलदार आरएस कुसराम को ज्ञापन सौंपा।
कर्जा माफ करें
तहसील प्रांगण में हुई सभा में किसानों ने दिए  उद्बोधन में कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान कर्ज में डूब रहा है। तो सरकार की जिम्मेदारी हो जाती है कि वह किसानों का कर्जा माफ करे। सरकार खाद-बीज व मजदूरी के बढ़ते दाम पर नियंत्रण नहीं कर पा रही है। समर्थन मूल्य बढ़ाने के नाम पर किसानों का मजाक उड़ाया जा रहा है।
यह मांगें रखी
आंदोलन में किसानों ने जो मांगें रखी, उसमें कपास खरीदी में व्यापारियों द्वारा इस वर्ष से शुरू की गई काठ को बंद किया जाए। किसानों को अपनी उपज के दाम निर्धारित करने का अधिकार मिले, फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए। सिंचाई के लिए चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति हो। खाद-बीज के दाम पर सरकार का नियंत्रण हो।
प्रशासन से भिड़े
किसान प्रशासन से तब भिड़े, जब उन्हें तहसील कार्यालय के भीतर आने से रोका। किसानों ने कहा कि सत्ता या विपक्ष के नेता आंदोलन करते हैं तो उनके लिए तहसील के गेट खोल दिए जाते हैं। हमारा आंदोलन किसानों का है। इसके बावजूद प्रशासन हमें दबाने की कोशिश कर रहा है। इस दौरान आक्रोशित किसानों ने गेट तोडऩे का प्रयास किया।

 

Created On :   7 Nov 2017 8:10 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story