ये रेस्टोरेंट है कुछ खास, यहां लंच से लेकर डिनर तक करते हैं गिद्ध

Forest Department opened a restaurant for vultures in Gadchiroli
ये रेस्टोरेंट है कुछ खास, यहां लंच से लेकर डिनर तक करते हैं गिद्ध
ये रेस्टोरेंट है कुछ खास, यहां लंच से लेकर डिनर तक करते हैं गिद्ध

डिजिटल डेस्क,गड़चिरोली। अभी तक आपने इंसानों के लिए तर-तरह के रेस्टोरेंट के बारे में सुना होगा। कोई रेस्टोरेंट अपने वर्कर की वजह से सुर्खियों में रहता है तो कोई अपनी डिश की वजह से अलग पहचान बनाता है। ऐसा ही एक अलग पहचान रखने वाला रेस्टोरेंट है महाराष्ट्र राज्य के गड़चिरोली में। सबसे खास बात ये है कि ये इंसानों का नहीं बल्कि विलुप्ति की कगार पर पहुंच गए गिद्धों के लिए खोला गया है। 

गौरतलब है कि गिद्धों को प्रकृति के सफाई कर्मचारियों के तौर पर देखा जाता है, लेकिन धीरे-धीरे इनका अस्तित्व ही खोता जा रहा है। इसी को मद्देनजर रखते हुए और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए गड़चिरोली वनविभाग ने नया फंडा अख्तियार किया है। वनविभाग ने विभिन्न गांवों में गिद्धों के लिए रेस्टारेंट शुरू किए है। जिसमें गिद्ध के लिए भोजन का प्रबंध किया जाता है। 

Image result for गिद्धों का रेस्टोरेंट
 

500 रुपए इनाम
इस रेस्टारेंट में मृत जानवर लेकर आने वाले लोगों को एक मृत जानवर पर 500 रुपए का इनाम भी संयुक्त वनप्रबंधन समिति के माध्यम से दिया जाता है। इस मुहिम की सफलता भी देखने को मिल रही है।वनविभाग के इस नए पैतरे से गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती जा रही है। वर्तमान में गड़चिरोली वनविभाग में करीब 150 की संख्या में गिद्ध होने की जानकारी है। वनविभाग के इस अनोखी मुहिम के चलते विलुप्त हो रहे गिद्ध का अस्तित्व कायम रखने में बेहद मददगार साबित हो रहा है। 

पर्यावरण का रक्षक "गिद्ध"
गिद्ध प्रकृति की स्वच्छता कर पर्यावरण का रक्षा करने एकमात्र पक्षी है। गिद्ध मृत प्राणियों के मांसभक्षण कर मृत प्राणी के सड़ने से फैलने वाली दुर्गंध को रोकता है। इसी तरह सड़े हुए मांस से जलस्रोत को दूषित होने से बचाता है। मृत प्राणियों का बंदोबस्त कर लोगों को बीमारियों से दूर रखने का काम करता है। ऐसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य कर गिद्ध पर्यावरण का संरक्षण करता है। 

Image result for गिद्धों का रेस्टोरेंट

 जिले में 150 से ज्यादा रेस्टोरेंट
दूसरी ओर गिद्ध की संख्या दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। ऐसे में गिद्ध का अस्तित्व बनाए रखने के लिए गड़चिरोली वनविभाग ने गिद्ध के लिए रेस्टारेंट शुरू किया है। इसके माध्यम से उन्हें भोजन मिल रहा है और वे प्रकृति की सफाई का कार्य नियमित रूप से कर पा रहे हैं। वर्ष 2005 से गिद्ध संवर्धन का कार्य वनविभाग कर रहा है। इस संदर्भ में आवश्यकता के अनुसार जनजागरण नहीं होने के कारण गिद्ध का अस्तित्व खतरे में आ गया। इसी बीच वनविभाग ने वर्ष 2011-12 से गिद्ध के लिए रेस्टारेंट शुरू किया गया है।

गड़चिरोली वनविभाग के मारकबोड़ी, माडेतुकूम, येवली, नवेगांव और दर्शनीचक  गांवों में 150 के करीब रेस्टारेंट शुरू किए गए हैं। जहां पर गांव क्षेत्र में मृत जानवरों को लाकर गिद्धों को दावत दी जाती है। वन विभाग के इस उपक्रम के कारण गड़चिरोली वन विभाग में वर्तमान स्थिति में 150 से अधिक गिद्ध है और वह पर्यावरण संरक्षण कार्य बखूबी से निभा रहे हैं। 

Image result for गिद्धों का रेस्टोरेंट

 जानकारी देने वालों का सम्मान
जंगल अथवा गांव परिसर में यदि गिद्ध बीमार अथवा घायल अवस्था में दिखाई देता है और इसकी जानकारी वनविभाग को मिलती है तो वन विभाग तत्काल गिद्ध को पशु अस्पताल में लेकर जाकर उसका उपचार करता है। साथ ही घायल गिद्ध की जानकारी देनेवाले व्यक्ति का विशेष सत्कार कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसमें संबंधित व्यक्ति को प्रमाणपत्र, शाल-श्रीफल और नगद राशि देकर नवाजा जाता है। गड़चिरोली वन विभाग में अब तक करीब 40 लोगों का सत्कार किया गया है। 

7 सितंबर अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागृति दिवस 
गिद्ध की उपयोगिता की जानकारी देने और गिद्ध संवर्धन करने के लिए वन विभाग की ओर 7 सिंतबर को अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागृति दिवस मनाया जाता है। इस दिन वनविभाग के अधिकारी स्कूली छात्रों की रैली गांव में निकाली जाती है। सभा का आयोजन कर लोगों से गिद्ध का संवर्धन करने की अपील की जाती है। यह दिन वनविभाग एक उत्सव के रूप में मनाता है। यही नहीं गिद्ध की जानकारी देने वाले लोगों का इस अवसर पर सत्कार भी किया जाता है। इस तरह लोग गिद्ध के संवर्धन के प्रति सचेत होते जा रहे हैं। 

गिद्ध का संरक्षण और संवर्धन कार्य के लिए वनविभाग ने वनपाल मोतीराम चौधरी की केंद्रस्थ अधिकारी के रूप में नियुक्ति की है। चौधरी ने गिद्ध का संरक्षण और संवर्धन कार्य में उल्लेखनीय कार्य किया है। फलस्वरूप उनके कार्य से प्रेरित होकर वन विभाग ने उन्हें स्वर्ण पदक घोषित किया। तथा 5 जून 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के हाथों स्वर्ण पदक देकर चौधरी को नवाजा गया है। बता दे कि गिध्द संदर्भ में समूचित जानकारी चौधरी के पास उपलब्ध है।  गढ़चिरोली वन विभाग की ये अभिनव पहल काफी सराहनीय है। क्योंकि अगर गिद्धों को अभी सरंक्षण नहीं किया गया तो भविष्य में ये सिर्फ किताबों में पढ़ने को मिलेगा।
 

Created On :   24 Nov 2017 10:20 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story