संझा काल के इन घंटाें में ना स्पर्श करें तुलसी की पत्तियां, होगी बड़ी हानि

FOUR TIPS, you should never do with Tulsi leaves in the evening
संझा काल के इन घंटाें में ना स्पर्श करें तुलसी की पत्तियां, होगी बड़ी हानि
संझा काल के इन घंटाें में ना स्पर्श करें तुलसी की पत्तियां, होगी बड़ी हानि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूर्यदेव की पत्नी का नाम संध्या है और इनका एक नाम संजना भी बताया जाता है। शास्त्रों के अनुसार संजना दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं और सूर्यदेव से इनका विवाह हुआ था। सूर्यास्त होते ही संध्या का आगमन होता है और इसके पश्चात ही रात्रि आती है। रात्रि और सूर्यास्त के इसी समय को संझा काल कहा जाता है। 

सूर्यास्त होते ही नकारात्मक शक्तियां प्रभावी होती हैं 

सूर्य की किरणों को अत्यंत ही शक्तिशाली माना जाता है। सूर्यास्त होते ही नकारात्मक शक्तियां प्रभावी होने लगती हैं। इनका प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ता है, ऐसा ना हो इसलिए शाम के वक्त संध्या पूजन करना चाहिए। अर्थात देवी-देवताओं को दीपक रखना उनकी आराधना करना। यह समय कुछ घंटों का होता है, लेकिन पुराणों में बताया गया है कि कुछ ऐसे कार्य हैं जो संजा के इस काल में करना वर्जित हैं। ऐसा करने से अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है...

1. यदि संजा काल में आप अपने घर में झाड़ू लगा रहे हैं तो समझिए आप स्वयं ही नकारात्मक शक्तियों को आमंत्रित कर रहे हैं।

2. संध्याकाल में तुलसी को दीपक रखें जल ना चढ़ाएं और ना ही तुलसी की पत्तियों को स्पर्श करें। इसे उचित नही माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि शाम के वक्त यदि आप तुलसी के पत्ते तोड़ते या स्पर्श करते हैं तो आपका संचित पुण्य पाप में उसी क्षण परिवर्तित हो जाता है। 

3. संध्यापूजन के वक्त कभी सोना नही चाहिए। यह देवों के आगमन का समय है यदि इस वक्त आप सोते हैं वे वापस लौट जाते हैं। केवल बीमार, वृद्ध, गर्भवती ही इस काल में शयन कर सकती हैं।

4. संध्याकाल के इन घंटों में सोना आपकी आयु को क्षीण भी करता है। साथ ही आप अनेक रोगों से भी पीड़ित हो सकते हैं। पैर पर पैर रखकर साेना भी आयु काे क्षीण करने का कारण बताया गया है।

Created On :   16 Nov 2017 5:44 AM GMT

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