#Happybirthday : गुलजार के कुछ अनजाने किस्से

#Happybirthday, some unknowingly tales of Gulzar
#Happybirthday : गुलजार के कुछ अनजाने किस्से
#Happybirthday : गुलजार के कुछ अनजाने किस्से

डिजिटल डेस्क,मुंबई। "किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से..." ये लाइन गुलजार साहब की कविता "किताबें" की हैं। बॉलीवुड के मशहूर लेखक, निर्देशक, प्रोड्यूशर, शायर, गजलकार, गीतकार और भी ना जाने कितनी प्रतिभा के धनी गुलजार के शब्दों का आज भी बॉलीवुड में दबदबा कायम हैं। गुलजार आज 83 साल के हो गए हैं, तो चलिए उनके जन्मदिन पर जानते हैं उनके जीवन की कुछ दिलचस्प बातें।

गुलजार का जन्म 18 अगस्त, 1934 को झेलम जिले के दीना गांव में हुआ था। झेलम अब पाकिस्तान का हिस्सा है। उनका असली नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। गुलजार ने कम उम्र में लिखना शुरू कर दिया था। लेकिन उनका लिखना पिता को पसंद नहीं था, बावजूद इसके उन्होंने अपने शौक को जारी रखा और लिखना बंद नहीं किया। गुलजार ज्यादातर उर्दू में लिखना पसंद करते हैं। 

वो फिल्मों में आने से पहले मैकेनिक का काम किया करते थे। जल्द ही उनकी प्रतिभा को बॉलीवुड में पहचान मिल गई। उन्होंने बिमल रॉय के साथ असिस्टेंट का काम किया और एस.डी. बर्मन की "बंदिनी" से बतौर गीतकार अपने सफर की शुरुआत की। उनका पहला गाना था, "मोरा गोरा अंग...।"

कई अवॉर्ड से नवाजे गए

गुलजार की बतौर डायरेक्टर फिल्म "मेरे अपने" (1971) थी, जो बंगाली फिल्म "अपनाजन" की रीमेक थी। उन्होंने ‘हू तू तू’ के फ्लॉप होने के बाद फिल्में बनानी बंद कर दीं, इस झटके से उबरने के लिए उन्होंने अपना ध्यान शायरी और कहानियों की ओर किया। गुलजार ने 1973 की फिल्म "कोशिश" के लिए साइन लैंग्वेज सीखी थी क्योंकि ये फिल्म मूक-वधिर विषय पर थी। जिसमें संजीव कुमार और जया बच्चन मुख्य भूमिका में थे। 

1971 में उन्होंने "गुड्डी" फिल्म के लिए ‘हमको मन की शक्ति देना" गाना लिखा था, जो आज भी स्कूलों में प्रार्थना में सुनाई देता है।गुलजार ने बेहतरीन काम किया है और उन्हें कई सम्मान से मिले है।उन्होंने 20 फिल्मफेयर और पांच राष्ट्रीय पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। 2010 में उन्हें स्लमडॉग मिलेनेयर के गाने "जय हो" के लिए ग्रैमी अवॉर्ड से नवाजा गया था। उन्हें 2013 में दादा साहेब फालके सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। 

शादी के लिए रखी थी राखी से ये शर्त

कॉलेज के समय से सफेद लिबास गुलजार को पसंद था। वो जितने शांत दिखते हैं उतने ही गुस्से के तेज हैं। इसका अंदाजा असी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार गुलजार ने पत्नी राखी को इतनी बुरी तरह पीटा था उनके शरीर पर नीले नीशान पड़ गए थे।

1970-80 के दशक में राखी का फिल्मों में जलवा था। 1970 में उनकी गुलजार से शादी हुई थी। लेकिन यह कहानी जितनी सामान्य दिखती है, उतनी थी नहीं। दरअसल, गुलजार ने राखी से एक शर्त पर शादी की थी और वो थी शादी के बाद उनका फिल्मों मे काम ना करना।

राखी तब गुलजार की बात मान गई थीं। लेकिन मन ही मन वो उम्मीद लगाए बैठी थीं कि तीन-चार साल बाद वो फिल्मों में लौट आएंगी। वो पति को मना लेंगी। शादी के बाद जब भी फिल्मों में काम करने की जिद करतीं, तो गुलजार उन पर बरस पड़ते थे। एक वेबसाइट के मुताबिक फिल्म ‘आंधी’ की लोकेशन देखने वे लोग कश्मीर गए थे। वहां उनके साथ संजीव कुमार और सुचित्रा सेन भी थे।

संजीव ने एक रात खूब शराब पीकर सुचित्रा से बदसलूकी करने लगे। ये देख गुलजार ने संजीव को रोका और सुचित्रा को उनके कमरे में छोड़ने गए थे। राखी ने इस दौरान उन्हें देख लिया, फिर क्या था उन्होंने इस बात पर खूब हंगामा किया। ये सब देख गुलजार तमतमा गए और राखी को खींच कर कमरे में ले गए। कमर में गुलजार ने राखी को इतनी बुरी तरह पीटा था कि उनके शरीर पर नीले रंग के निशान पड़ गए थे।

इसक बाद राखी ने गुलजार को छोड़ दिया था और यश राज की फिल्म कभी-कभी से बॉलीवुड में वापसी कर ली थी। हालांकि दोनों ने एक दूसरे से तलाक नहीं लिया है और वो आज भी मिलते रहते हैं। 

Created On :   18 Aug 2017 4:53 AM GMT

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