अबू सलेम के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

Hearing on Abu Salems case in HC jabalpur completed
अबू सलेम के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
अबू सलेम के मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। पुर्तगाल सरकार के साथ हुई प्रत्यपर्ण संधि का आरोपित तौर पर उल्लंघन करने पर भोपाल में चलाए जा रहे दसवें मुकदमें को चुनौती देने वाली अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। गुरुवार को उभय पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

गौरतलब है कि 28 मार्च 2003 को पुर्तगाल की सरकार ने अबू सलेम को प्रत्यपर्ण संधि के तहत भारत सरकार को सौंपा था। उसके खिलाफ कुल 9 मुकदमें चलना थे। अबू सलेम का आरोप है कि वर्ष 2007 में भोपाल पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एक मुकदमा उसके खिलाफ चलाया जा रहा, जो प्रत्यपर्ण संधि का उल्लंघन है। इसको चुनौती देकर यह पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में वर्ष 2014 में दायर की गई थी। गुरुवार को एकलपीठ के सामने याचिकाकर्ता अबू सलेम की ओर से अधिवक्ता आलोक बघरेचा, भूपेन्द्र तिवारी, पुष्पेन्द्र दुबे, राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता पुष्पेंद्र यादव और केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी जेके जैन ने पक्ष रखा। दलीलों पर गौर करने के बाद अदालत ने अपना निर्णय सुरक्षित रखने के निर्देश दिए।

1993 मुंबई बम धमाकों में दोषी

1970 में उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ जिले में जन्में अबू सलेम 1989 से 1993 तक दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी से जुड़ा रहा। सलेम को 1993 मुंबई बम धमाकों में दोषी पाया गया था। सलेम पर 1996 में टी- सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या, बिल्डर की हत्या समेत 50 से अधिक मामलों में आरोप हैं। गुलशन कुमार की हत्या के बाद सलेम कई हत्याओं, वसूली, बॉलीवुड के स्टार्स को धमकी जैसे अपराधों को अंजाम देता रहा। 1993 में मुंबई धमाकों में लगभग 300 से ज्यादा लोगों की जाने गईं और 700 लोग घायल भी हुए। 1993 के धमाकों के बाद सलेम ने देश छोड़ दिया और दुबई भाग गया था। सलेम को 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तार किया गया था।

Created On :   2 Nov 2017 10:28 AM GMT

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