HC का सरकार से सवाल- 4 सालों में जेल में कितने बंदियों की मौत हुई ?

High court asked  How many prisoners died in prison in 4 years?
HC का सरकार से सवाल- 4 सालों में जेल में कितने बंदियों की मौत हुई ?
HC का सरकार से सवाल- 4 सालों में जेल में कितने बंदियों की मौत हुई ?

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट ने 2012 से 2015 के बीच जेल में बंद कैदियों की आसमयिक मौतों की जानकारी मांगी है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने मृत बंदियों के नामों की पूरी सूची 3 सप्ताह में पेश करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विगत 15 सितंबर को बंदियों की जेलों में हुई मौतों को चुनौती देने वाले एक मामले पर फैसला सुनाया था। SC के जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बैंच ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को कहा था कि वर्ष 2012 से 2015 के बीच जेलों में बंदियों की हुई मौतों के मामले पर संज्ञान लेकर सुनवाई करें। यदि पीड़ित परिवारों को कम मुआवजा मिला है तो उन्हें उपयुक्त मुआवजा दिलाया जाए। साथ ही SC ने यह निर्देश भी दिए थे कि किसी भी प्रकार की समस्या आने पर देश के सभी हाईकोर्ट उचित आदेश पारित कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के भेजे गए मामले पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता ने संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की। साथ ही प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह सचिव, जेल विभाग के प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी जेल को मामले में पक्षकार बनाया।प्रारंभिक सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ हाजिर हुए। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने वर्ष 2012 से वर्ष 2015 के बीच हुईं बंदियों की मौतों का आंकड़ा पेश करने के निर्देश दिए। 

क्यों नहीं हो रही पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्तियां?
वहीं निचली अदालतों में लंबित मुकदमों के निराकरण में पब्लिक प्रॉसिक्यूटरों की नियुक्ति में हो रही देरी के मामले पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के भेजे गए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में सरकार से जवाब तलब किया है। मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

गौरतलब है कि विगत 22 जुलाई को 5 साल से ज्यादा और 10 साल से कम अवधि के लंबित मुकदमों के निराकरण के संबंध देश के प्रधान न्यायाधीश के साथ देश के सभी हाईकोर्टों के चीफ जस्टिसों की बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने मध्य प्रदेश के सभी जिला सत्र न्यायाधीशों के साथ एक बैठक की, जिसमें यह बात सामने आई कि विभिन्न जिलों में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर, एडीशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर और स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटरों के पद खाली होने के कारण मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पा रही है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए चीफ जस्टिस ने संज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज करने के निर्देश दिए थे। मामले में मप्र सरकार के मुख्य सचिव, विधि सचिव, गृह सचिव और पब्लिक प्रॉसिक्यूशन भोपाल के डायरेक्टर को पक्षकार बनाया गया है।

Created On :   24 Sep 2017 2:44 AM GMT

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