वीआईपी सिक्योरिटी पर कोर्ट ने उठाए सवाल

high court raised question on VIP security
वीआईपी सिक्योरिटी पर कोर्ट ने उठाए सवाल
वीआईपी सिक्योरिटी पर कोर्ट ने उठाए सवाल

डिजिटल डेस्क, मुंबई।  वीआईपी पुलिस सुरक्षा पर बाॅम्बे हाईकोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों को बंदूक का लाइसेंस देने में लंबी प्रक्रिया अपनाती है, दूसरी तरफ पुलिस सुरक्षा आसानी से दी जाती है। आज मुंबई में बाढ़ जैसी स्थिति है। यदि कम से कम पुलिसकर्मी वीआईपी सुरक्षा में तैनात होते तो उनका इस्तेमाल ऐसे समय में लोगों की मदद के लिए किया जा सकता है। बेंच ने फिर दोहराया कि पुलिसकर्मी निजी सुरक्षा गार्ड नहीं है।

मुख्य जस्टिस मंजूला चिल्लूर और जस्टिस नितीन जामदार की बेंच ने कहा कि सिर्फ इसलिए पुलिस सुरक्षा नहीं प्रदान की जा सकती है कि संबंधित व्यक्ति पुलिस सुरक्षा का शुल्क देने में सक्षम है। पुलिसकर्मियों को निजी सुरक्षा मंग लगाए जाने से उनका मनोबल गिरता है। क्योंकि हर पुलिसकर्मी सक्रिय पुलिसवाले की भूमिका में रहना चाहता है। बेंच ने कहा कि सरकार बंदूक का लाइसेंस प्रदान करने में लंबी प्रक्रिया अपनाती है पर पुलिस सुरक्षा आसानी से प्रदान कर दी जाती है। पेशे से वकील सनी पुनमिया ने निजी लोगों की दी जानेवाली पुलिस सुरक्षा के मुद्दे पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। 

परिपत्र की समीक्षा करेगी सरकार
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील अभिनंदन व्याज्ञानी ने कहा कि पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में साल 2000 में परिपत्र जारी किया गया था। उस समय की स्थिति को लेकर पुलिस सुरक्षा देने को लेकर दिशा-निर्देश तय किए गए थे। तब संगठित अपराध का खतरा था। लेकिन अब स्थितियां बदली हैं। अब हम निजी सुरक्षा प्रदान करने के लिए जारी परिपत्र की समीक्षा करेंगे। जिन्हें सुरक्षा दी गई है उसका भी मूल्याकन किया जाएगा और यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी की जिस खतरे के चलते उन्हें सुरक्षा दी गई थी वह अभी भी बरकरार है अथवा नहीं। सरकारी वकील ने बताया कि सरकार ने पुलिस सुरक्षा देने को लेकर एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी सुरक्षा की मांग के लिए मिलने वाले आवेदनों पर विचार करती है। सरकार इस कमेटी से परामर्श लेने के बाद परिपत्र में जरूरी बदलाव करेगी।

बैंक गारंटी भी लेगी सरकार
निजी सुरक्षा देने के एवज में बकाया शुल्क की वसूली के लिए सरकार अब उन लोगों से बैंक गारंटी लेगी जिन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके अलावा पुलिस सुरक्षा चाहने वालों के बैंक खातों की भी जानकारी ली जाएगी। ताकि पैसे का भुगतान न होने की स्थिति में उनके खाते को जब्त किया जा सके। सरकारी वकील व्याज्ञानी ने अदालत को बताया कि शुरुआत में तीन महीने की बैंक गारंटी ली जाएगी। सुरक्षा शुल्क का भुगतान न करने की स्थिति में बैंक गारंटी को भुनाया जा सकेगा।  इस पर बेंच ने कहा कि सरकार सुरक्षा देने को लेकर सुधारित दिशा-निर्देश लाने पर विचार करे।

Created On :   21 Sep 2017 2:21 PM GMT

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