कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर निर्माण को हरी झंडी, HC ने खारिज NGT के आदेश

High court rejects NGT orders for Stop construction of temple
कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर निर्माण को हरी झंडी, HC ने खारिज NGT के आदेश
कुंडलपुर में बड़े बाबा मंदिर निर्माण को हरी झंडी, HC ने खारिज NGT के आदेश

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। दमोह जिले के कुंडलपुर क्षेत्र में बड़े बाबा के नए मंदिर के प्रस्तावित निर्माण को हाईकोर्ट ने हरी झंडी दे दी है। मंगलवार को चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस निर्माण कार्य पर रोक के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भोपाल में चल रहे मुकदमें और उस पर पारित किए गए सभी आदेशों को खारिज कर दिया। इसके साथ ही युगलपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि जब देश की शीर्ष अदालत ने इस निर्माण कार्य को लेकर किसी भी मुकदमे की सुनवाई पर प्रतिबंध लगाया था, फिर कैसे एनजीटी में इस मामले पर सुनवाई हुई, यह समझ से परे है।

हाईकोर्ट ने यह फैसला दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र कुंडलपुर पब्लिक ट्रस्ट की ओर से दायर याचिका पर हुई सुनवाई के बाद दिया। आवेदक के अनुसार कुंडलपुर में बड़े बाबा के नए मंदिर का निर्माण कार्य प्रस्तावित है। इस मुद्दे को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया, जहां पर वर्ष 2014 में साफ तौर पर कहा गया कि इसके बाद अब बड़े बाबा के मंदिर निर्माण को लेकर कोई भी मुकदमा न तो दायर हो और न ही उस पर कोई सुनवाई की जाए। इस आदेश के बाद भी भोपाल के स्टडी सर्कल सोसायटी की ओर से एक मामला एनजीटी में दायर हुआ। उस मामले में हस्तक्षेपकर्ता के रूप में राजस्थान के जैन संस्कृति रक्षा मंच ने एक अर्जी दायर की। 

एनजीटी ने 27 मई 2016 को वन भूमि पर पेड़ों की कटाई करके, वहां पर किसी भी तरह का कोई भी निर्माण कार्य पर यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए थे। साथ ही दमोह कलेक्टर को कहा गया था कि वे न तो वहां पर कोई पेड़ कटने दें और न ही वन संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध कोई भी निर्माण कार्य को होने दें। इस आदेश की वैधानिकता को चुनौती देकर यह याचिका वर्ष 2016 में हाईकोर्ट में दायर की गई थी। याचिका में स्टडी सर्किल सोसायटी, जैन संस्कृति रक्षा मंच, केन्द्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिव, मप्र सरकार के मुख्य सचिव, प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट, दमोह कलेक्टर, चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट भोपाल, ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया और एनजीटी के रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाया गया था। 

मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत सिंह व अधिवक्ता अनुराग गोहिल ने पक्ष रखा। उनका कहना था कि संदर्भित क्षेत्र में निर्माण कार्य और सौन्दर्यीकरण का कार्य मप्र सरकार और भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा दी गई स्वीकृति के आधार पर किया जा रहा है। उन आदेशों को हाईकोर्ट के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता समदर्शी तिवारी व शासकीय अधिवक्ता ब्रम्हदत्त सिंह हाजिर हुए। उन्होंने युगलपीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद भी एनजीटी में स्टडी सर्किल की ओर से एक मामला दायर हुआ।

स्टडी सर्किल ने खुद स्वीकार किया कि यह मामला जैन संस्कृति रक्षा मंच द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर दायर किया गया। चूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मंच भली-भांति वाकिफ था, इसलिए उसने स्टडी सर्किल को आगे करके एनजीटी में मुकदमा दायर कराया और फिर उसी मुकदमे में पक्षकार भी बन गया। केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी जेके जैन ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए इस मामले को लेकर एनजीटी में हुई सुनवाई को आड़े हाथ लेते हुए उसके सभी आदेश खारिज कर दिए। साथ ही अपना विस्तृत आदेश सुनाते हुए युगलपीठ ने मंच की भूमिका पर भी नाराजगी जताते हुए उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया। 

Created On :   8 Nov 2017 9:12 AM GMT

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