सिर्फ जिंदा रहना ही काफी नहीं, खुद को बनाएं ऐसे मजबूत

live your life just not for your needs,but live your life for you
सिर्फ जिंदा रहना ही काफी नहीं, खुद को बनाएं ऐसे मजबूत
सिर्फ जिंदा रहना ही काफी नहीं, खुद को बनाएं ऐसे मजबूत

डिजिटल डेस्क,भोपाल। आज के जीवन में इंसान को सिर्फ जिन्दा रहना ही काफी नहीं होता। ऐसे कई केसेस है जहां इंसान जिन्दा तो रहता है, लेकिन तरह-तरह की बीमारियों से ग्रस्त रहता है। उम्र के साथ-साथ इंसान बीमारियों से घिरता चला जाता है। आज मोटापा, संघर्ष और मनोरोग ऐसे रोग है जो आम इन्सान के जीवन में बाधक बने हुए हैं। लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज’ के मुताबिक गरीब देशों में अमीर मुल्कों कि तुलना में लोग ज्यादा दिन बीमार रहते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के ‘इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मीट्रिक्स ऐंड इवैल्यूएशन’ के निदेशक क्रिस्टॉफर मूर के अनुसार व्यक्ति हों या देश, वो बीमारियों का इलाज ये सोचकर करते हैं कि किसी तरह जान बची रहे, पर हम उन कारकों की ओर नहीं देखते जो बीमारी पैदा करते हैं या हमारे सहज और स्वस्थ जीवन में रुकावट पैदा करते हैं।

भारत में 36 प्रतिशत लोग होते हैं डिप्रेशन का शिकार

दरअसल इंसान ऐसी चीजों पर ज्यादा फोकस रहते हैं जो सीधे शरीर को प्रभावित करती है। जैसे सामाजिक संघर्ष और मनोरोग। भारत के संदर्भ में मनोरोग एक बड़ा फैक्टर है। इन्हीं मनोरोगों के कारण बहुत से लोगों का जीवन ठहर जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में 36 प्रतिशत लोग अपने जीवन में कभी न कभी डिप्रेशन के शिकार होते हैं लेकिन विडंबना यह है कि भारत में इसे अब भी बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता।
 

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हाल ही में यूके की एक लॉन्ड्री सर्विस स्टार्ट-अप ‘जिपजेट’ ने करीब 150 देशों की एक सूचि तैयार की। जहाँ रोजमर्रा से जुड़े कई सवाल किये गए और उससे ये अंदाजा लगाया कि विभिन्न शहरों में रहने वाले लोगों की मानसिक दशा कि स्थिति क्या है? दुर्भाग्य है कf इस सूचि में भारत के शहरों का स्थान बहुत निचे रहा। यानी यहां लोग गहरे मानसिक दबाव में जीते हैं। इस सूची के मुताबिक दिल्ली 142वें स्थान पर, बंगलुरु 130वें और मुंबई 138वें स्थान पर है।

दुख-सुख में साझेदारी 

जिपजेट के प्रबंधक के अनुसार सभी बड़े शहरों में डिप्रेशन बढ़ रहा है, इसके वजह से तरह-तरह के बीमारियाँ भी पैदा हो रही है। इसलिए ये कोई जीना जीना नहीं होता, असली जीवन तब होता है जब उम्र के साथ स्वस्थ और प्रसन्न जीवन भी जी सके। इसके लिए पोषक तत्वों से युक्त भोजन, हवा-पानी के अलावा एक दूसरे के दुख-सुख में साझेदारी करने वाला सामाजिक माहौल भी मिलना चाहिए।
 

Created On :   23 Sep 2017 9:03 AM GMT

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