रोहिंग्या मुसलमानों पर संयम बरतें अंतरराष्ट्रीय समुदाय : ढाका में बोलींं सुषमा

long-term solution to Rohingya crisis is rapid socio-economic, infra development
रोहिंग्या मुसलमानों पर संयम बरतें अंतरराष्ट्रीय समुदाय : ढाका में बोलींं सुषमा
रोहिंग्या मुसलमानों पर संयम बरतें अंतरराष्ट्रीय समुदाय : ढाका में बोलींं सुषमा

डिजिटल डेस्क, ढाका। दो दिन के बांग्लादेश के दौरे पर ढ़ाका पहुंची भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज यहां बुद्धिस्ट मेजोरिटी वाले म्यांमार के रखाईन राज्य में जारी हिंसा पर गहरी चिंता जताईा उन्होंने कहा कि म्यामार संकट को खत्म करने का लांग टर्म उपाय यह हो सकता है कि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सोशियो एकोनामिक और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से जुड़े प्रोजेक्ट शुरू किए जाएं। सुषमा स्वराज ने कहा इससे राज्य के सभी समुदाय के लोगों पर पाजिटिव असर पड़ेगा और उनके बीच जारी सामाजिक वैमनस्य खत्म होगा। उन्होंने कहा केवल इसी तरह राखाईन प्रांत में स्थिति को काबू में किया जा सकता है। 

संयम का परिचय दे इंटरनेशनल कम्यूनिटी
सुषमा स्वराज ने इंटरनेशनल कम्यूनिटी से आग्रह किया कि वे इस संकट पर विचार करते समय स्थानीय लोगों को ध्यान में रखते हुए संयम का परिचय दें। उन्होंने कहा कि यहां स्थितियां तभी सामान्य हो सकती हैं जब यहां से पलायन करने वाले लोग वापस लौट आएं। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्विपक्षीय संबंधों पर आयोजित संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक में भाग लेने के लिए दो दिवसीय दौरे पर आज बांग्लादेश की राजधानी पहुंची हैं। इसस पहले विशेष विमान से बांग्लादेश पहुंची सुषमा स्वराज का बांग्ला विदेशमंत्री ए. महमूद अली ने ढाका के बंगबंधु एयरबेस पर स्वागत किया। 

इस लिए जटिल हुआ यह संकट
म्यांमार रोहिंग्या समुदाय को जातीय समूह के रूप में मान्यता नहीं देते हुए उन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। बौद्ध अनुयायियों वाले इस देश का कहना है कि रोहिंग्या समुदाय के लोग बांग्ला माइग्रैंट्स हैं, जो बांग्लादेश से आकर म्यांमार में अवैध रूप से रह रहे हैं। इस माइनारिटी कम्यूनिटी को देश की 135 जातीय समूहों की सूची से भी बाहर कर दिया गया है। 25 अगस्त को म्यांमार के सुरक्षाबलों पर रोहिंग्या आतंकियों के हमले के बाद से सुरक्षा बलों की कार्रवाई के बाद 5,80,000 से अधिक रोहिंग्या समुदाय के लोगों को म्यांमार के उत्तरी राखाईन प्रांत से पलायन को मजबूर होना पड़ा है। म्यांमार सरकार इसे रोहिंग्या आतंकियों के विरुद्ध कार्रवाई बताया जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य ने इसे रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ योजनाबद्ध हमला करार दिया था। 

विश्व बिरादरी के दबाव में झुका म्यांमार  
म्यांमार में रोहिंग्या शरणार्थियों के विरुद्ध मानवाधिकार उल्लंघन और हिंसा की लगातार शिकायतों के बीच संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका ने भी चिंता जताई। संयुक्त राष्ट्र संघ प्रमुख एंटोनियो गुटारेस ने म्यांमार से जल्द से जल्द हिंसा का माहौल खत्म करने की अपील की थी। जबकि, अमेरिका ने चेतावनी दी कि अगर रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध हिंसा बंद नहीं हुई तो उस पर पहले की तरह प्रतिबंध लगा दिए जाएंगे। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने म्यांमार के रखाइन प्रांत के हालात पर चिंता जताते हुए म्यांमार को चेतावनी दी कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा जारी रही तो वहां पर सैन्य शासन काल में लगाए गए प्रतिबंधों को दोबारा लागू कर दिया जाएगा। इसी दबाव में माह की शुरूआत में आन सान सू की ने म्यांमार से पलायन करने वाले रोहिंग्या समुदाय के लोगों को को  वापस लेने की बात कही थी। उन्होंने रोहिंग्याओं की पुनर्वापसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए कार्य समूह गठित करने की घोषणा की थी। उनके इस निर्णय का अनेक वर्गों ने विरोध किया था। 
 

Created On :   22 Oct 2017 3:14 PM GMT

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