साइंस चैनल का बड़ा दावा, आज शाम अमेरिका में शो का प्रसारण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के रामेश्वरम से लेकर श्रीलंका के नजदीक मन्नार द्वीप तक बना पत्थरों का एक पुल, जिसे "रामसेतु" कहा जाता है, वो महज एक कोरी कल्पना नहीं है, बल्कि इसे इंसानों ने ही बनाया है। ये दावा एक साइंस चैनल ने अपनी रिसर्च के बाद किया है। जियोलॉजिकल साइंटिस्ट (भू-वैज्ञानिक) ने दावा किया है कि पत्थरों से बनी ये चेन पूरी तरह से मानव निर्मित है और ये पत्थर आज से करीब 7000 साल पुराने हैं। साइंस चैनल के इस दावे के बाद एक बार फिर से "रामसेतु के अस्तित्व" को लेकर बहस छिड़ गई है। भारत में भी अक्सर ये बहस का विषय रहा है। भारत में एक तबका जहां इसे रामायण काल से जोड़ता है, तो वहीं दूसरा तबका इसे कल्पना मात्र बताता है, लेकिन इस दावे के बाद अब इस पर फिर से बहस शुरू हो गई है। साल 2007 में रामसेतु के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे से एक बड़ा राजनीतिक बवाल तक खड़ा हो गया था।
Are the ancient Hindu myths of a land bridge connecting India and Sri Lanka true? Scientific analysis suggests they are. #WhatonEarth pic.twitter.com/EKcoGzlEET
— Science Channel (@ScienceChannel) December 11, 2017
सोशल मीडिया पर शेयर किया वीडियो
साइंस चैनल नाम के ट्विटर अकाउंट से मंगलवार शाम को एक प्रोमो वीडियो शेयर किया गया है। इस वीडियो को चैनल ने "एंशिएंट लैंड ब्रिज" नाम से शेयर किया है। इस वीडियो में जियोलॉजिकल साइंटिस्ट ने रामसेतु से जुड़े कई दावे किए हैं। दरअसल, चैनल ने "व्हॉट ऑन अर्थ: एंशिएंट लैंड ब्रिज" नाम से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसे बुधवार शाम को डिस्कवरी कम्युनिकेशंस के साइंस चैनल पर अमेरिका में दिखाया जाएगा। 2:30 मिनट के इस प्रोमो वीडियो में साइंटिस्टों का कहना है कि भारत के रामेश्वर के पामबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक बनी लंबी पत्थरों की चेन इंसानों ने ही बनाई है। साइंस चैनल का ये वीडियो अब भारत में भी वायरल हो गया है और इसे मोदी सरकार में मंत्री स्मृति इरानी ने भी रीट्वीट किया है। ये शो बुधवार शाम साढ़े सात बजे डिस्कवरी कम्युनिशेन के साइंस चैनल पर अमेरिका में दिखाया जाएगा।
साइंटिस्ट ने क्या किए हैं दावे?
1. जियो-लॉजिकल साइंटिस्ट ने अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की तरफ से ली गई इस ब्रिज की फोटो को पूरी तरह से नेचुरल बताया है।
2. साइंटिस्टों ने अपनी रिसर्च में पाया है कि भारत से श्रीलंका तक बना 30 मील लंबा ये ब्रिज इंसानों ने ही बनाया है।
3. इस रिसर्च में साइंटिस्टों ने दावा किया है कि जिस सैंड (रेत) पर ये पत्थर रखे हुए हैं, उन्हें कहीं दूर जगह से लाया गया है।
4. साइंस चैनल के दावे के मुताबिक, इस ब्रिज को बनाने के लिए जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, वो 7000 साल पुराने हैं।
5. जबकि जिस सैंड (रेत) पर ये पत्थर रखे हुए हैं, वो रेत 4000 साल पुरानी बताई गई है। हालांकि, लोग इसे 5 हजार साल पुराना मानते हैं, क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार ये रामसेतु 5000 साल पहले ही बना था।
रामसेतु को लेकर क्या है मान्यता?
दरअसल, वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, जब रावण ने सीता का हरण कर उसे लंका ले गया था, तो सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए भगवान राम ने लंका द्वीप पर चढ़ाई की थी। रामायण में कहा गया है कि राम अपनी पूरी वानर सेना के साथ लंका जा रहे थे, लेकिन बीच में काफी विशाल समुद्र बना था, तो भगवान राम ने सभी देवताओं से विजय के लिए आशीर्वाद मांगा। इनमें समुद्र के देवता वरूण भी थी। वरूण देव से राम ने समुद्र पार जाने के लिए रास्ता मांगा, लेकिन वरूण ने उनकी बात नहीं मानी। इसके बाद भगवान राम ने गुस्से में आकर वरूण देव को समुद्र सुखाने की धमकी दी।
इसके बाद वरूण ने डरकर भगवान राम को बताया की आपकी सेना में मौजूद नल-नील नाम के वानर जिस पत्थर पर आपका नाम लिखकर समुद्र में डालेंगे, वो तैरने लगेगा। इस तरह से भगवान राम और वानर सेना ने समुद्र पर पुल बनाया और उसे पार करके लंका गए। इसके बाद राम की सेना ने लंका पर हमला कर रावध का वध किया और जीत हासिल की। इसी पुल को "रामसेतु" के नाम से जाना जाता है।
Created On :   13 Dec 2017 6:16 AM GMT