भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने यहां ली थी शरण, देखें वीडियो

Lord Shiva took refuge here to avoid Bhasmasur, see video
भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने यहां ली थी शरण, देखें वीडियो
भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव ने यहां ली थी शरण, देखें वीडियो

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। लगभग सौ साल पहले शुरू हुई नागद्वारी यात्रा भी अमरनाथ यात्रा की तरह ही कठिन है। अगर कहीं-कहीं इस यात्रा के बारे में कहा जाये तो यह अमरनाथ से भी ज्यादा मुश्किल है।  जी हाँ .... एमपी में छिंदवाड़ा से 160 किलोमीटर की दूरी पर सतपुड़ा की ऊंची और दुर्गम पहाड़ियों में नागद्वारी यात्रा के लिए नागपंचमी के अवसर पर देश के विभिन्न भागों से बडी संख्या में श्रद्धालु आते है। पुराणों की मानें तो भस्मासुर के कहर से बचने के लिए शिवजी ने तिलक-सिंदूर धाम में आकर शरण ली थी, जो कि नागद्वारी के नाम से भी जाना जाता है। रोमांच और आस्था से भरपूर इस यात्रा के दौरान श्रदालुओं को कई पड़ाव से गुजरना पड़ता है। आइए जानते हैं इस रोचक यात्रा से जुड़े विभिन्न पड़ाव...

ढपली की थाप पर थिरकते है शिवभक्त

नागद्वारी यात्रा के दौरान ढपली, टिमकी और पुंगी की मधुर ध्वनि के बीच शिवभक्त थिरकते दिखाई देते हैं। यात्रा के दौरान् विश्राम स्थल पर अपनी थकान को भुलाकर शिवभक्त नृत्य करते हैं और महादेव का जयकारा लगाते हैं। महाराष्ट्र से आने वाले श्रद्धालु गाजे-बाजे के साथ नागद्वारी की यात्रा पूरी करते हैं।

स्वर्गद्वार में है नींबू फेंकने की परंपरा

स्वर्गद्वार में पहाड़ी पर एक गुफा स्थित है। जहां पहुंचना मुमकिन नहीं है। लोहे की खड़ी सीढ़ियों से चढ़कर श्रद्धालु इस गुफा तक पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा की ओर नींबू फेंकने से, यदि नींबू गुफा के अंदर चला गया, तो नींबू फेंकने वाले को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि स्वर्ग द्वार में श्रृद्धालु नींबू फेंकते हैं और पूरा परिसर नींबू की सुगंध से महकता रहता है। यहां पहुंचने वाला हर भक्त नीबू फेंककर अपनी आस्था प्रगट करने से नहीं चूकता।

पश्चिमद्वार: 100 फीट ऊंची चट्टान के नीचे विराजे हैं शिव

चट्टानों से उतरकर व नदियों को पार कर नागद्वार के यात्री यहां पहुंचते हैं। यहां लगभग 200 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला झरना विशेष आकर्षण का केंद्र होता है। करीब 100 फीट की चट्टान के नीचे स्थित गुफा में महादेव शंकर का मंदिर स्थित है। लगभग 60 मीटर लंबी और चौड़ी इस गुफा में अनवरत पानी बहता रहता है। पांच फिट ऊंची इस विशालकाय गुफा में महादेव शंकर का मंदिर स्थित है, जिसे पश्चिम द्वार भी कहा जाता है।

यहां पहाड़ों से बराबरी करते हैं आम के पेड़

पश्चिम द्वार स्थित शंकर मंदिर में दर्शन के बाद शिवभक्त आम की अमराई पहुंचते हैं। यहां आम के विशाल वृक्षों और पहाड़ों के बीच ऊंचाई को शिवभक्त मापने की कोशिश करते हैं। शिवभक्तों का मानना है कि इन आम के वृक्षों और पहाड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि दोनों के बीच तू बड़ा कि मैं... की प्रतियोगिता चल रही हाे। 40 फीट तक ऊंचे आम के वृक्षों को यहां देखा जा सकता है।

रस्सियों के सहारे पहुंचते है मंदिर

चित्रशाला से यात्रा के बाद शिवभक्त बरसाती नदी को पार कर पद्मिनी नागिन के मंदिर पहुंचते हैं। बारिश के दिनों में अक्सर यह नदी उफान पर रहती है। जिसे कारण शिवभक्तों को रस्सी पकड़कर इस नदी को पार करना पड़ता है। रस्सी से हाथ छूटा तो नदी में बहने की नौबत आ जाती है। प्रशासन ने भी इस नदी को पार करने के लिए विशेष इंतजाम कर रखे हैं। मेला के नोडल अधिकारी पिपरिया SDM मदनसिंह रघुवंशी के मुताबिक नदियों पर रेस्क्यू के लिए 50 सदस्यीय टीम तैनात की गई है, जो नदी पार कर रहे श्रद्धालुओं पर नजर बनाए रखती है।

Created On :   27 July 2017 1:35 PM GMT

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