गीता जयंती, भगवान कृष्ण ने इसी दिन दिया था अर्जुन को उपदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल 2017 में मोक्षदा एकादशी 30 नवम्बर को मनाई जाएगी। मार्गशीर्ष अर्थात अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। यह अनेक पापों को नष्ट करने वाली बतायी गई है। इस एकादशी को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के नाम से जाना जाता है। पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि एकादशी के इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश उस वक्त दिया था जब वे अपने प्रिय बंधुओं, गुरू और ज्येष्ठों को रणक्षेत्र में देखकर युद्ध से घबरा गए थे।
इस दिन अर्जुन ने गीता के रहस्यों को जाना और अद्भुत ज्ञान की प्राप्ति की। जिसकी वजह से इस दिन श्री कृष्ण व गीता का पूजन शुभ व फलदायक माना जाता है। इसी दिन ब्राम्हणों को भोजन कराने से भी विशेष फल अर्जित होना बताया गया है।
व्रत करने के नियम
-इस दिन व्रत धारण करने का नियम है। सुबह स्नान के बाद मंदिर या घ्ज्ञर में ही विष्णु पाठ करना चाहिए।
-ब्राम्हणों को दान.दक्षिणा देने के बाद इस व्रत का समापन द्वादशी तिथि पर होता है
-क्योंकि इस दिन गीता का उपदेश अर्जुन को स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने दिया था। कहा जाता है कि उन पलों के लिए समय भी रुक गया था। अतः व्रतधारी को रात्रि में जागरण करके भगवान विष्णु की स्तुति करना चाहिए। इससे पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है और शुभ फलों में वृद्धि होती है।
-ऐसी भी मान्यता है कि यदि किसी के पूर्वज अपने कर्मों की वजह से नरक चले गए हैं और इसके संकेत निरंतर आपको प्राप्त हो रहे हैं तो यह व्रत अवश्य ही रखना चाहिए। इससे आपके पुण्य से उनके कष्टों का निवारण होता है।
-इस व्रत को लेकर एक प्राचीन कथा भी प्रचलित है जो वैखानस नाम के राजा से जुड़ी है, जिसने इस व्रत का पारण कर अपने पिता को नरक से मुक्ति दिलाई थी। व्रतधारी को इस कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए।
Created On :   18 Nov 2017 5:41 AM GMT