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By - Bhaskar Hindi |27 July 2017 5:39 AM GMT
टीम डिजिटल, रायपुर। रीवा से आकर यहां मजदूरी करने वाली सविता की हादसे मौत के बाद भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी। गरीब परिवार को मुआवजा तो दूर, सविता के शव का दाह संस्कार करने के लिए भी किसी भी सरकारी अफसर ने मदद नहीं की। आखिर पड़ोसियों ने तरस खाकर चंदा इकट्ठा किया और तब जाकर अंतिम संस्कार हो सका। सविता यहां के भनपुरी इलाके में बनी अवैध पेंट फैक्ट्री में काम करती थी। मंगलवार सुबह फैक्ट्री में लगी भीषण आग में सविता के साथ दो अन्य लोग झुलस गए थे।
पति और तीन बच्चों के साथ मजदूरी कर किसी तरह गुजारा करने वाली सविता के बुरी तरह झुलसे हुए शव को देखकर पूरा परिवार बहदवास हो गया। करीब एक घंटे तक उसका पति इंद्रजीत शव के साथ बैठकर विलाप करता रहा। इस दौरान किसी भी सरकारी अधिकारी ने उसकी मदद नहीं की। इंद्रजीत की गरीबी का आलम यह था कि उसके पास पत्नी के अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे। दोनों मजदूरी करके किसी तरह गुजारा कर रहे थे। सविता के तीनों बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं।
पड़ोसियों को इंद्रजीत का दुख देखा नहीं गया और उन्होंने आपस में चंदा जुटाकर अंतिम संस्कार के लिए कुछ पैसे जमा किए। तब कहीं जाकर सविता का दाह संस्कार हो सका। इंद्रजीत की पत्नी के देहांत के बाद उसके पास बच्चों की पढ़ाई जारी रखने की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है।
]]>Created On :   17 May 2017 6:52 AM GMT
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