पत्नी पीड़ित पुरुषों की नहीं सुनता कोई, इन 3 कहानियों में जानिए कैसे सताती हैं बीवियां!

No more listen the voice of Domestic Violence victims Men
पत्नी पीड़ित पुरुषों की नहीं सुनता कोई, इन 3 कहानियों में जानिए कैसे सताती हैं बीवियां!
पत्नी पीड़ित पुरुषों की नहीं सुनता कोई, इन 3 कहानियों में जानिए कैसे सताती हैं बीवियां!

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महिलाओं के लिए तो बहुत से अधिकार हैं, पर पुरुषों को जो अधिकार दिए गए हैं, उनमें भी उन्हें मान्यता नहीं दी गई है। अगर कोई पुरुष अपनी परेशानी लेकर आवाज उठाता भी है, तो उसकी आवाज कोई नहीं सुनता। अगर कोई महिला पुरुष के खिलाफ शिकायत लेकर जाती है, तो उसकी बात को सहीं मान लिया जाता है, भले ही आरोप गलत हों।

जेंडर इक्वलिटी ऑर्गनाइजेशन यानि GEO ऐसी संस्था है, जो पुरुषों के अधिकार के लिए काम कर रही है। GEO के संस्थापक विक्रांत अंभाेरे ने बताया  कि यह संस्था 2005 से पुरुषों और उनके परिवारों के अधिकारों के उत्थान के लिए काम रही है। यह भारत में एकमात्र HelpLine है, जो पुरुषों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए बनाई गई है। जहां पर लिंग पक्षपाती कानूनों के दुरुपयोग से फंसे हुए पीड़ित व्यक्तियों की नि:शुल्क सहायता की जाती है। महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार रोकने के लिए 498-ए, घरेलू हिंसा कानून, दहेज निषेध अधिनियम इत्यादि कानून बने हुए हैं, लेकिन इन सभी कानूनों का आज के दौर में बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है। पिछले कुछ सालों से 498-ए कानून के तहत दाखिल हुए मामलों में से 85 प्रतिशत मामले झूठे पाए गए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के सर्वेक्षण अनुसार हर साल करीब 65000 विवाहित पुरुष आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे कई मामले हैं, जिसमें महिला ने बड़ी बेरहमी से पति तथा घरवालों की पिटाई की है।

डर से घर छोड़ दिया

  • नागपुर के रत्नेश बोले, "जैसे सबकी शादी होती है, वैसे ही मैंने खुशी-खुशी शादी की। शादी के तुरंत बाद मेरी बीवी ने उसके इरादे मुझे बता दिए। वो मेरी मां को नापसंद करती थी, छोटी-छोटी बातों को लेकर लगातार उसने मुझे और मेरी मां पर ताने मारने शुरू कर दिए। पुलिस में भी झूठी शिकायत देने लगी। किचन की कहासुनी पर वो हमेशा 100 नंबर पर कॉल करने लगी। इसी डर की वजह से मेरी मां और मैंने खुद का घर छोड़ दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद हम जब वापस आए, तो उसने अपने रिश्तेदारों को बुलाकर बहुत हंगामा किया। साथ ही मेरी मां के सिर पर हथौड़ी से जानलेवा हमला कर दिया, जिससे मेरी मां बुरी तरह से घायल हो गई। यह उसकी दूसरी शादी है। पहले पति से 20 लाख रुपये लेकर तलाक लिया है। उसे अच्छी तरह से पता है कि कब और कहां कानून का दुरुपयोग कर उसका फायदा उठाना है।"

दो बार किया चाकू से वार

  • नागपुर से वैभव ने सुनाई व्यथा, "मेरे शरीर पर उसके नोचने, काटने से इतने दाग हैं कि मैं शर्म के मारे बाेल भी नहीं सकता। मैं अपने माता-पिता को छोड़कर अलग से रहने लगा, फिर भी मेरी बीवी मुझे प्रताड़ित करती है। अलग रहने के बाद से वो और भी हिंसक हो गई। उसने 2 बार मुझे चाकू से मारा। एक बार मॉल में बच्चे के कपड़े लेने गए थे। एक ड्रेस मुझे पसंद आया, पर उसे पसंद नहीं आया। इस बात को लेकर वहीं पर झगड़ा करने लगी और मॉल में ही सबके सामने मुझे जाेर से तमाचा मारा। जब इस प्रकारण को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचा, तो परामर्श केन्द्र में उपस्थित लोगों के सामने मेरी कॉलर पकड़ कर मुझे मारना शुरू कर दी। यह सब इसलिए कि ट्रांसफर लेकर मुंबई रहने चलो, क्योंकि उसका मायका वहीं का है। अगर ऐसा नहीं करोगे तो तलाक के नाम पर 50 लाख रुपए दो, तभी वो तैयार होगी। 

हर दूसरे दिन तमाशा

  • नागपुर के ही अश्विन ने कहा, "मैं एक सरकारी कर्मचारी हूं। मेरी अंरेज मैरिज हुई थी। शादी के बात मुझे पता चला कि मेरी बीवी का स्वभाव बहुत ही झगड़ालू है। हर दूसरे दिन मुझे पुलिस स्टेशन जाना पड़ता। शिकायत मेरे करने पर भी गलती किसकी है ये जाने बिना ही पुलिसवालों की तरफ से मुझे ही डांट पड़ती, क्योंकि मैं मर्द हूं। घर में टीवी फोड़ देना, पानी पूरे घर में फेंक देना, भाभी और मां को गंदी-गंदी गाली देना। घर से बाहर निकल कर जोर-जोर से झगड़ा करना, ताकि पड़ोसी जमा होकर तमाशा देखें। यह सब उसके लिए सामान्य बाते थीं। इतना सब होने पर भी मेरी शिकायत सुनने वाला कोई नहीं है, क्योंकि सारे अधिकार महिलाओं के पास ही हैं।"

Created On :   26 Aug 2017 12:58 PM GMT

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