पचमढ़ी महोत्सव: पातालकोट की रसोई, मक्का की रोटी,टमाटर की चटनी का स्वाद ले रहें टूरिस्ट

Pachmarhi tourist festival: people are enjoying, testing different foods
पचमढ़ी महोत्सव: पातालकोट की रसोई, मक्का की रोटी,टमाटर की चटनी का स्वाद ले रहें टूरिस्ट
पचमढ़ी महोत्सव: पातालकोट की रसोई, मक्का की रोटी,टमाटर की चटनी का स्वाद ले रहें टूरिस्ट

 

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। पहाडिय़ों की रानी पचमढ़ी में देश के विभिन्न हिस्सों से आए पर्यटक पातालकोट की रसोई में मक्का की रोटी के साथ देशी टमाटर यानी भेदरा की चटनी का स्वाद ले रहे हैं। यह महोत्सव विलेज टूरिज्म और ट्राइबल फूड थीम पर आयोजित हो रहा है। महोत्सव में तामिया और पातालकोट के साथ जिले के अन्य आदिवासी अंचल में विलेज टूरिज्म और इको टूरिज्म को प्रमोट करने के लिए जिले के नागरिक भागीदारी निभा रहे हैं।

गांवों की जीवंत तस्वीर 

दो दिवसीय ट्राइबल फूड फेस्टिवल में प्रस्तुति के लिए पातालकोट और तामिया क्षेत्र के लगभग १८ गांवों के आदिवासी परिवारों को चिन्हित किया गया। इन लोगों ने पचमढ़ी में पर्यटकों को पातालकोट की जीवंत तस्वीर दिखाने के लिए अपनी विलक्षण क्षमता का परिचय दिया। यहां आदिवासी समुदाय की जीवन शैली दिखाने के लिए घास की छत वाली झोपडिय़ां बनाई गई हैं तो वहीं मिट्टी से बनी दीवारों पर लोक शैली के चित्र भी उकेरे हैं। गोबर से लिपे आंगन में आदिवासी परिवार की जीवन उपयोगी सामग्रियां भी प्रस्तुत की हैं। 

लुभा रही कोदो कुटकी 

पर्यटकों को लुभाने के लिए पातालकोट की रसोई सजाई गई। यहां विशुद्ध आदिवासी व्यंजनों को प्रस्तुत किया गया है। इसमें ज्वार, मक्का की रोटी के साथ देशी टमाटर की सब्जी, कोदो कुटकी के व्यंजन, जंगली कंदों की खीर के साथ खिचड़ी और अन्य कई तरह के पकवान प्रस्तुत किए हैं। इसके अलावा कई तरह के औषधीय कंद और जड़ी बूटियों को भी यहां सजाया गया है।

छींद की पत्तियों से बनी मौर

जिले के कलाकारों ने महोत्सव में पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति से अवगत कराने के लिए तीज त्योहार और विवाह समारोह में उपयोग किए जाने वाले आभूषणों की प्रदर्शनी भी सजाई। आदिवासी समुदाय के दूल्हा दुल्हन विवाह में छींद की पत्तियों से बने मौर यानी सेहरा भी प्रस्तुत किया है। पर्यटक इस सेहरे को सिर पर लगाकर तस्वीर ले रहे हैं। 

पर्यटकों को रुझान बढ़ा

ग्रामीणों के साथ महोत्सव में पवन श्रीवास्तव ने बताया कि एमपी टूरिज्म का यह प्रयास जिले के लिए लाभदायक साबित हो रहा है। पातालकोट की संस्कृति देखकर पर्यटक छिंदवाड़ा जिले के पर्यटक स्थलों की जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि पातालकोट के स्टॉल पर पहुंचते ही पर्यटक मोबाइल पर छिंदवाड़ा का मेप और अन्य जानकारी खोजने लगते हैं। 

Created On :   23 Oct 2017 2:29 PM GMT

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