BJP का डबल गेम : इतिहास से मिट रहे मुगलों की मजार पर पहुंचे मोदी
डिजिटल डेस्क, यंगून। म्यांमार दौरे पर पीएम नरेंद्र मोदी का रंगून में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की मजार पर पहुंचना भारतीय लोगों के गले नहीं उतर रहा है। हर कोई यह जानना चाह रहा है कि BJP यह डबल गेम क्यों खेल रही है। एक तरफ तो भारत से मुगलों का इतिहास मिटाया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी का मजार पर पहुंचकर मत्था टेकना लोगों को हजम नहीं हो रहा है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि एक तरफ तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी मुगलों के प्रति अपनी घृणा को खुलकर जाहिर करते हुए मुगल इतिहास मिटाने की हरसंभव कोशिश भी करते हैं। ऐसे में बहादुर शाह जफर की मजार पर पीएम को श्रद्धा के इत्र छिड़कते देखकर कई सवाल पैदा होते हैं।
क्या ये वही मोदी हैं जिनकी राज्य सरकारें अपनी पाठ्य पुस्तकों से मुगलों का गायब कर देती हैं, तो सड़कों का नाम बदल देती हैं। पीएम को इस बात का अहसास तो होगा ही कि बहादुर शाह जफर भी मुगल थे। क्या वाकई प्रधानमंत्री 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायक को श्रद्धाजंलि देने गए थे या उनकी मंशा कुछ और संदेश देने की थी, हालांकि इस पर से पर्दा आने वाले समय में उठेगा।
गौरतलब है कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बहादुर शाह जफर ने आंदोलन की अगुवाई की थी। आंदोलन कुचलने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने जफर को 1858 में म्यांमार भेज दिया था। इस दौरान वे अपनी पत्नी जीनत महल और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों के साथ रह रहे थे। 7 नवम्बर, 1862 को उनका निधन हो गया। यहीं पर उनकी मजार बनाई गई। म्यांमार के स्थानीय लोगों ने उन्हें संत की उपाधि भी दी।
ऐसे मिट रहा मुगल इतिहास
- राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने "अकबर महान" नाम के चैप्टर को हटा दिया। बीजेपी सरकार ने सफाई दी थी कि अकबर महान क्यों है? महाराणा प्रताप महान क्यों नहीं है?
- राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने इसे सही ठहराया और कहा कि अब तक इतिहास ठीक नहीं पढ़ाया जा रहा था मगर अब उसे ठीक कर लिया गया है।
- इसके बाद सरकार ने इतिहास में बदलाव किया कि हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप जीते थे और अकबर की सेना हार कर भाग गई थी।
- इतिहास बदलने से पहले पढ़ाया जाता था कि हल्दीघाटी की लड़ाई में न तो महाराणा प्रताप जीते थे और ना ही अकबर की सेना।
- नए इतिहास के मुताबिक महाराणा प्रताप अपनी मातृभूमि मेवाड़ की रक्षा के लिए बहादुरी से लड़े थे और उनकी सेना ने अकबर की सेना को लड़ाई के मैदान से भगा दिया था।
- महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड ने इतिहास की किताबों से "मुगलों" को गायब कर दिया है।
- नए इतिहास में इसका कहीं पर भी जिक्र नहीं है कि ताजमहल, कुतुब मीनार और लाल किला आखिर किसने बनवाया।
- पूर्वी दिल्ली से बीजेपी सांसद महेश गिरी ने 31 जुलाई 2015 को चिट्ठी लिखकर यह मांग की थी कि औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड कर दिया जाए। इसे मान लिया गया।
Created On :   7 Sep 2017 4:08 PM GMT