ट्रिपल तलाक के बाद वैवाहिक RAPE पर बैन लगाए सुप्रीम कोर्ट

Post triple talaq verdict, activists urge SC to act on Section
ट्रिपल तलाक के बाद वैवाहिक RAPE पर बैन लगाए सुप्रीम कोर्ट
ट्रिपल तलाक के बाद वैवाहिक RAPE पर बैन लगाए सुप्रीम कोर्ट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार एक साथ 3 बार तलाक कहकर रिश्ता तोड़ने के चलन पर रोक लगा दी। जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) को दंडनीय बनाने पर भी कदम उठाए जाएं। समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ता हरीश अयर ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर आए फैसले से लोगों का दिमाग और अधिक प्रगतिशील कानूनों के लिए खुलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सर्वाधिक वंचित लोगों के लिए आजादी की दिशा में कोई भी कदम एक लहर के तौर पर देखा जाना चाहिए, जिस पर आपस में जुड़े हुए सभी कारक सवार हो सकते हैं। फैसले से हमारी सोच और अधिक प्रगतिशील कानूनों की तरफ खुलने चाहिए, जिनमें धारा 377 है। समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी में रखने वाली IPC की धारा 377 का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।

  • ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन की सचिव कविता कृष्णन ने ट्वीट किया, "सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक ठहराकर और इसे संसद के पाले में नहीं डालकर उचित फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को धारा 377 के संबंध में ऐसा नहीं करना चाहिए और क्या नाबालिग पत्नियों समेत जीवनसाथी के साथ दुष्कर्म को असंवैधानिक ठहराया जाएगा।
  • एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की कार्यक्रम निदेशक अस्मिता बसु ने कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। ट्रिपल तलाक एक भेदभाव वाली प्रथा है, जो महिलाओं के समानता के अधिकार का उल्लंघन करती है और कई मुस्लिम महिलाओं का जीवन बर्बाद कर चुकी है।
  • महिला अधिकार कार्यकर्ता जागमती सांगवान ने कहा, "यह सही दिशा में उचित कदम है। अब पत्नी के साथ दुष्कर्म के मुद्दे को और धारा 377 के मुद्दे को उठाने का समय आ गया है"।

Created On :   22 Aug 2017 4:42 PM GMT

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