करीब से देखें ब्रम्हांड, रमन विज्ञान केंद्र में किसी भी ग्रह का 4-डी इमेज देखना हुआ संभव

Raman Science Center is likely to see a 4-D image of any planet
करीब से देखें ब्रम्हांड, रमन विज्ञान केंद्र में किसी भी ग्रह का 4-डी इमेज देखना हुआ संभव
करीब से देखें ब्रम्हांड, रमन विज्ञान केंद्र में किसी भी ग्रह का 4-डी इमेज देखना हुआ संभव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। धरती से दूर किसी दूसरे ग्रह को नजदीक से देखना और स्पेस शटल में सवार होने की कल्पना किसी के लिए भी रोमांचकारी होगा। अब इस रोमांच का अनुभव नागपुर में ही संभव है। आप किसी भी अपने मनचाहे ग्रह को नजदीक से देखना चाहते हैं तो रमन साइंस सेंटर पहुंचें। ‘साइंस ऑन स्फीयर’ के माध्यम से आपके सपने साकार हो सकते हैं।

ऐसे करता है काम 
कांच की एक बड़ी सी गेंद (स्फीयर) में चार दिशाओं से लेजर प्रोजेक्टर की मदद से एक ग्रह की तस्वीर दिखती है, जो घूमते हुए किसी असली ग्रह सा लगता है। ये चारों प्रोजेक्टर एक कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग से जुड़े हैं। इस अत्याधुनिक ग्लोब को जर्मनी की कम्पनी ग्लोबसेस ने तैयार किया है। भारत में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु के बाद नागपुर में इसे साकार किया गया है। दुनिया भर में 150 साइंस सेंटरों में यह लगाया गया है। अध्ययनकर्ताओं, विद्यार्थियों, शोधार्थियों, खगोल विज्ञान से लेकर भूविज्ञान या अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि रखनेवालों के लिए यह फायदेमंद है।

जहां हाईटेक शो की सुविधा उपलब्ध होगी
इस परियोजना को साकार करने के लिए सवा दो करोड़ रुपए का खर्च आया है। फिलहाल इसके लोकार्पण की तिथि तय नहीं की गई है। केंद्र की ओर से मुख्यालय को 30 नवंबर की तिथि प्रस्तावित की गई है। इसके टिकट दर आदि का भी अभी निर्णय लिया जाना बाकी है। रमन विज्ञान केंद्र में शनिवार को इस ‘साइंस ऑन ए स्फीयर’ शो का प्रीमियर रखा गया था। इस अवसर पर केंद्र प्रमुख एन. रामदास अय्यर ने बताया कि नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एसोसिएशन से डाटा लेकर सॉफ्टवेयर के माध्यम से ये तस्वीरें दिखाई जाती हैं। इसमें भूकंप, सुनामी, हवा के बहाव से लेकर समुद्र में चलनेवाली पानी की धाराओं (वॉटर करंट) की स्थिति को भी तिथि के अनुसार देखा जा सकता है।

रमन विज्ञान केंद्र देश में पांचवां और विश्व में 151वां केंद्र
यहां सौरमंडल के सारे ग्रहों की घूमती हुई तस्वीर दिखाई देगी। धरती के बनने से लेकर उसके किसी भी काल के मानचित्र को देखा-समझा जा सकेगा। इस अकेले स्फीयर में 500 डेटा सेल्स (विभिन्न विषयों की जानकारियां) उपलब्ध होगी, जिसे एक क्लिक करते ही देखा जा सकेगा। खुद रमन विज्ञान केंद्र अपने स्तर पर इंस्ट्रक्टरों (अनुदेशकों) को उपलब्ध कराएगा, लेकिन योजना है कि स्कूल-कॉलेज के शिक्षक अपने विषय के अनुसार इस ग्लोब का अध्ययन विद्यार्थियों को करा सकेंगे।

रियल टाइम पर आधारित जानकारियां
इस ग्लोब को स्थापित करनेवाले कम्पनी के अधिकारी हेमन वॉकमर ने बताया कि यह ग्लोब फायबर ग्लास का है, जिसका व्यास 1.73 मीटर है। वजन लगभग 40 किलोग्राम है। इसमें धरती के कई डेमोग्राफिक, ज्योग्राफिकल, टोपोग्राफिक आदि जानकारियां रियल टाइम बेसिस पर देखी जा सकती हैं। फ्लैट स्क्रीन पर इन सारी चीजों को देखना आम लगेगा, लेकिन इसे किसी ग्लोब में देखना अपने आप में बेजोड़ और रोमांचकारी अनुभव होगा। इस अवसर पर केंद्र के शिक्षाधिकारी विलास चौधरी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

Created On :   19 Nov 2017 12:36 PM GMT

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