Supreme Court ने कहा- कोर्ट के आदेश से प्रेम पैदा नहीं किया जा सकता

SC will consider the plea to modify ruling on playing national anthem in cinema halls
Supreme Court ने कहा- कोर्ट के आदेश से प्रेम पैदा नहीं किया जा सकता
Supreme Court ने कहा- कोर्ट के आदेश से प्रेम पैदा नहीं किया जा सकता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट नेशनल एंथम को लेकर लगाई गई याचिका पर विचार करने को राजी हो गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश में संशोधन करने का आग्रह किया है, जिसमें उसने सिनेमा घरों में फिल्म के प्रदर्शन के पहले राष्ट्रगान बजाए जाने को अनिवार्य किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा नागरिकों को देश प्रेम के लिए इस तरह बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अदालतें अपने आदेशों से किसी के मन में राष्ट्रप्रेम का भाव नहीं पैदा कर सकतीं। अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि वह नौ जनवरी तक सिनेमा घरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए नेशनल फ्लैग कोड में जरूरी संशोधन करे। 

 

केंद्र एकरूपता के लिए जरूरी बताया
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा केंद्र सरकार को सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के बारे में उसके पहले के आदेश से प्रभावित हुए बगैर ही इस पर विचार करना होगा। इस मामले की सुनावाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेनुगोपाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है। देश के सभी समाजों में एकरूपता लाने के लिए सभी सिनेमा घरों में राष्ट्रगीत बजाया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए।

 

इस मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने संकेत दिया कि वह इस संबंध में दिसंबर 2016 में दिए गए अपने पूर्व निर्णय पर विचार कर सकती है। जिसमें देशभक्ति की भावना को विकसित करने के लिए सिनेमाघरों में फिल्म प्रदर्शन से पहले राष्ट्रगान बजाए जाने और उस दौरान दर्शकों को उसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य किया गया था। इसके बाद फरवरी 2017 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राष्ट्रगान बजाए जाने के दौरान खड़े होना अनिवार्य नहीं है यदि इसे फिल्म या डाक्यूमेंट्री के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। 

 

कोर्ट के आदेश से नहीं बढ़गा देशप्रेम 
कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह भी देखा जाना चाहिए कि सिनेमाघर में लोग मनोरंजन के लिए जाते हैं। ऐसे में देशभक्ति का क्या पैमाना हो, इसके लिए कोई तयशुदा रेखा नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस तरह के नोटिफिकेशन या नियम का मामला संसद का है। इसे कोर्ट पर नहीं थोपा जाना चाहिए। मामले में अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा, जिसमें सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य है। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि जब राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्मान दर्शाया जाता है तो यह मातृभूमि के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता है। कोर्ट ने सभी सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले अनिवार्य रूप से राष्ट्रगान बजाने की मांग वाली श्याम नारायण चोकसी की जनहित याचिका पर यह निर्देश दिए थे।

Created On :   23 Oct 2017 1:47 PM GMT

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