देश में किसी को पूर्ण निजता का अधिकार नहीं

supreme court nine judge bench to rule if privacy is a fundamental right
देश में किसी को पूर्ण निजता का अधिकार नहीं
देश में किसी को पूर्ण निजता का अधिकार नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। निजता का पूर्ण अधिकार नहीं है। सरकार इसमें अपनी ओर से परिवर्तन कर सकती है। भारतीय संविधान के तहत निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं, इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने बुधवार को यह बात कही।

इसके साथ ही चीफ जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय बेंच ने सरकार और अन्य संस्थाओं को निजता के अधिकार का दायरा साफ करने के लिए कहा है। बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि निजता के अधिकार का दायरा नहीं है। यह किसी भारतीय का पूर्ण अधिकार नहीं है। यह नागरिकों की स्वतंत्रता का एक हिस्सा भर है।

आधार कार्ड की अनिवार्यता के मामलों पर सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच ने इससे जुड़ा निजता का मामला 9 जजों की बेंच को भेजा था। अब संविधान खंडपीठ के फैसले के 67 सालों बाद इस मसले को सुलझाने की जरूरत पड़ रही है, क्योंकि कई याचिकाओं का दावा है कि 'आधार कार्ड' निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिका कर्ताओं की ओर से निजता को मौलिक अधिकार बताने से सीजेआई जेएस केहर के नेतृत्व में बनी पांच जजों की बेंच ने मंगलवार को विवादास्पद मामले को आधिकारिक आदेश के लिए नौ जजों की बेंच को स्थानांन​तरित कर दिया था।

इन जजों की बेंच में सीजेआई जेएस खेहर, जे चेलमेश्वर, सी ए बोबडे, आरके अग्रवाल, रोहिंटन एफ नरीमन, अभय मनोहर सापरे, डीवाई चंद्रचूड़, संजय ​कृष्ण कॉल और अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। वर्ष 1950 को आठ जजों की बेंच ने फैसला सुनाया था कि निजता कोई मौलिक अधिकार नहीं है।

खिलाफत में पुत्तास्वामी की याचिका

भारत सरकार की ओर से आधार कार्ड को अनिवार्य करने का फैसला किया गया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस के एस पुत्‍तास्‍वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी, जिसमें आधार अनिवार्यता से निजी जानकारी लीक होने का हवाला दिया गया था। जिनके पास आधार नहीं उनके लिए भी यह मुश्किल होगा।

तय करें लीक न हो निजी जानकारी

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्‍यीय पीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार को स्‍कीम बनाने के लिए कहा था। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सरकार कुछ ऐसी व्‍यवस्‍था करे कि लोगों की निजी जानकारी लीक न हो। वहीं कोर्ट ने आधार नंबर को पैन कार्ड से लिंक कराने के सरकार के फैसले पर रोक नहीं लगाई थी, लेकिन इसे संसदीय समिति के फैसला करने तक अनिवार्य करने से मना कर दिया था।

सरकार का तर्क

सरकार का टार्गेट आधार को जरूरी कर डुप्लीकेशन हटाना है, जिसके लिए तमाम प्रमुख योजनाओं में आधार जरूरी किया जा रहा है । बीमा नियामक प्राधिकरण (इरडा) भी सभी बीमा कंपनियों के एजेंट्स को आधार नंबर जमा करने को कह चुका है। इससे सरकार ऑनलाइन डाटाबेस तैयार कर डुप्लीकेशन रोकने की कवायद में है।

अभी 92 योजनाओं में इस्तेमाल

केंद्र के 19 मंत्रालयों की 92 योजनाओं में आधार का इस्तेमाल इस वक्त हो रहा है। इससे एलपीजी और फूड सब्सिडी सहित मनरेगा के फायदे शामिल हैं।

Created On :   19 July 2017 8:22 AM GMT

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