ब्लैक मनी के रास्ते में रुकावट बने स्विस कानून

Swiss law barriers on the way of Black Money for india
ब्लैक मनी के रास्ते में रुकावट बने स्विस कानून
ब्लैक मनी के रास्ते में रुकावट बने स्विस कानून

डिजिटल डेस्क, बर्ने/ नई दिल्ली। सरकार ने वादा तो किया है, लेकिन स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन को वापस लाना इतना भी आसान नहीं है। स्विट्जरलैंड और यूरोपियन यूनियन के कड़े कानून इसमें आड़े आ रहे हैं। इन कानूनों की बारीकियां बताने स्विट्जरलैंड के सांसदों का एक दल अगले महीने भारत आ रहा है।

स्विट्जरलैंड की संसद में एक अहम पैनल माने जाने वाले कमिटी ऑन इकोनॉमी एंड रॉयल्टीज ऑफ द नेशनल कौंसिल (CER-N) ने इसी मरह की 15 तारीख को भारत को उन 41 देशों की फेहरिस्त में शामिल किया है, जिसे स्विस बैंकों में जमा भारतीयों के बारे में सूचनाएं साझा की जा सकती हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार स्विस बैंकों में कालाधन रखने वाले भारतीयों के बारे में जानकारी देने का अधिकार CER-N को दिया गया है। लेकिन इस अधिकार को देने के साथ ही स्विट्जरलैंड की संघीय परिषद ने यह शर्त भी रखी है कि जब तक सभी 41 देश स्विट्जरलैंड और यूरोपीय कानून के मुताबिक सूचनाओं के आदान-प्रदान पर सहमत नहीं हो जाते, तब तक मामला आगे नहीं बढ़ सकेगा।

स्विस पैनल भारतीय सांसदों के पैनल से मिलकर कालेधन पर सूचनाओं के आदान-प्रदान में को मजबूती देने में एक-दूसरे की भूमिकाओं के बारे में भी चर्चा करेगी। खासतौर पर यह सुनिश्चित करने में कि जो भी सूचनाएं आपस में साझा की जाएं, वे कहीं और लीक न हों। इस बारे में स्विट्जरलैंड की संघीय परिषद ने 15 जून को एक प्रस्ताव पारित कर यह कहा था कि जब तक संबंधित देश अपने यहां आंकड़ों और सूचनाओं की गोपनीयता को बनाए रखने के बारे में एक मजबूत ढांचा नहीं बना लेते, तब तक सूचनाएं साझा न की जाएं।

स्विस संसद को पेश इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि अगर किसी माध्यम से सूचनाएं लीक होती हैं तो इसके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जानी चाहिए। गौरतलब है कि भारत लंबे समय से स्विट्जरलैंड के साथ वहां की बैंकों में काला धन रखने वाली भारतीयों के नाम बताने और कालेधन को वापस लाने के लिए समझौते की मांग कर रहा है।

Created On :   27 Aug 2017 1:23 PM GMT

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