राहुल ने 'दादी' को बताया ताकत, शक्ति स्थल पर नमन, देखें Video
A glimpse of this morning at Shakti Sthal, with former PM Manmohan Singh, former President @CitiznMukherjee and CVP Rahul Gandhi, as they paid tribute and fondly recalled memories of Indira Gandhi. #Indira100 pic.twitter.com/MOuUble2l2
— Congress (@INCIndia) November 19, 2017
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 100वीं जयंती है। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इंदिरा गांधी की समाधि शक्ति स्थल जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट कर उन्हें याद किया।
इंदिरा गांधी एक धनी व्यक्तित्व की महिला थीं। उनका जन्म 19 नवम्बर 1917 को एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में हुआ था। इंदिरा गांधी साल 1966 से 1977 तक लगातार 3 बार प्रधानमंत्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही हैं।
Nation remembers former Prime Minister Smt Indira Gandhi on her birth centenary #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 19, 2017
Tributes to former PM Mrs. Indira Gandhi on her birth anniversary.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 19, 2017
I remember you Dadi with so much love and happiness. You are my mentor and guide. You give me strength. #Indira100
— Office of RG (@OfficeOfRG) November 19, 2017
Glimpses of the exclusive photographic exhibition of Indira: A Life Of Courage which will be open to public from November 21. #Indira100 pic.twitter.com/hxRa1hLNNg
— Congress (@INCIndia) November 19, 2017
सोनिया गांधी ने किया नमन
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली के इंदिरा गांधी मेमोरियल में इंदिरा गांधी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
Congress President Mrs Sonia Gandhi pays tributes to former PM Mrs #IndiraGandhi on her birth centenary at Indira Gandhi Memorial, Delhi .@aajtak .@OfficeOfRG .@IndiaToday .@Indira___Gandhi pic.twitter.com/drwSsAAD0P
— Supriya Bhardwaj (@Supriya23bh) November 19, 2017
इंदिरा मैराथन-क्रॉस कंट्री में 11 हजार धावक
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जयंती के अवसर पर इलाहाबाद में रविवार को 33वीं अखिल भारतीय प्राइजमनी इंदिरा मैराथन और क्रॉस कंट्री रेस में लगभग 11 हजार धावक दौड़ेंगे। सुबह 6.30 बजे आनंद भवन से मैराथन और क्रास कंट्री शुरू हो गई है। जिसके बाद दोपहर में 2:30 बजे मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में विजेता खिलाड़ियों को पुरस्कार दिया जाएगा।
एक प्रभावी और निडर लीडर रहीं इंदिरा
इंदिरा गांधी की छवि ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक निडर लीडर के रूप में रही हैं। वो भारत की ऐसी पीएम रही हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत ही साहसी फैसले लिए। उन्होंने अपने पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद निराश हुई कांग्रेस में दोबारा से जान डाली थी। नेहरू जी की मृत्यु के बाद सब जगह निराशा पसरी हुई थी, लेकिन इस स्थिति में भी इंदिरा ने हार नहीं मानी और देश की कमान संभाली।
इंदिरा गांधी ने लिए थे ये तीन बड़े फैसले
1. बैंकों का राष्ट्रीयकरण
1969 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। इस फैसले के बाद बैंकों के 40% पैसे को प्राइमरी सेक्टर जैसे कृषि और मध्यम एवं छोटे निवेश के लिए रखा गया था। देश के लगभग सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक की शाखाएं खुल गईं। 1969 में 8261 शाखाएं थीं। 2000 तक 65521 शाखाएं हो गई। 1980 में छह और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। हालांकि 2000 के बाद यह प्रक्रिया बहुत धीमी पड़ गई।
2. राजे-रजवाड़ों के प्रिवीपर्स की समाप्ति
1967 के आम चुनावों में कई पूर्व राजे-रजवाड़ों ने सी.राजगोपालाचारी के नेतृत्व में स्वतंत्र पार्टी का गठन लिया था। इनमें से कई कांग्रेस के बागी उम्मीदवार भी थे। इसकी के चलते इंदिरा गांधी ने प्रिवीपर्स को खत्म करने का सोच लिया। 23 जून 1967 को ऑल इंडिया कांग्रेस ने प्रिवीपर्स की समाप्ति का प्रस्ताव पारित कर दिया। 1970 में संविधान में 24वां संशोधन किया गया और लोकसभा में 332-154 वोट से पारित करवा लिया। हालांकि राज्य सभा में यह प्रस्ताव पास होने से रह गया। राज्यसभा में हारने के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति वीवी गिरी से सारे राजे-महाराजाओं की मान्यता समाप्त करने को कहा। उसके बाद 1971 के चुनाव हुए जिसमें इंदिरा गांधी को जबर्दस्त सफलता मिली और उन्होंने संविधान में संशोधन कर प्रिवीपर्स को खत्म कर दिया।
3. बांग्लादेश का मिला अपना अस्तित्व
आजादी के समय पाकिस्तान के दो भाग थे। पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। पूर्वी पाकिस्तान की जनता पाकिस्तान की सेना के शासन में असहाय महसूस कर रही थी। उनके पास नागरिक अधिकार नहीं थे। शेख मुजीबुर रहमान की अगुवाई में मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तान की सेना से गृहयुद्ध शुरू कर दिया। नतीजतन असम में करीब 10 लाख बांगला शरणार्थी पहुंच गए, जिनसे देश में आंतरिक और आर्थिक संकट पैदा हो गया। इसी के कारण 1971 में दूसरा भारत-पाकिस्तान युद्ध शुरू हो गया। जिसमें पाकिस्तान की करारी हार हुई और विश्व के मानचित्र में एक नये देश बांग्लादेश का उदय हुआ।
Created On :   19 Nov 2017 4:07 AM GMT