AMU में को-एड एजुकेशन के लिए UGC ने की सरकार से सिफारिश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी (एएमयू) के ग्रेजुएशन प्रोग्राम में लड़के और लड़कियां दोनो ही अलग क्लास रूम में बैठकर पढ़ाई करते हैं। जिस पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा गठित एक समिति ने कड़ी आपत्ति जताई है। उसने कैंपस में जल्द से जल्द को-एड से पढ़ाई शुरू कराने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की है। आपको बता दें कि एएमयू के मामलों की जांच के लिए यूजीसी ने एक समिति गठित की थी। इसी समिति ने सभी पक्षों को देखते हुए केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
गौरतलब है कि यूजीसी की समिति ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसे केंद्र को सौंप दिया है। यूजीसी ने रिपोर्ट में लिखा है कि यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएशन प्रोग्राम में पढ़ने वाले बच्चों को को-एड एजुकेशन ना मिलने से छात्र प्रोफेशनल कोर्स से लेकर नौकरी के दौरान अपनी झिझक कभी दूर नहीं कर पाते हैं, जिस कारण वो बाकी बच्चों के मुकाबले पिछड़ जाते हैं। ये उनके करियर के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। इसी के ही साथ यूजीसी ने शिया और सुन्नी स्टूडेंट्स की अलग-अलग विभाग में पढ़ाई करवाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब शिया और सुन्नी दोनों एक ही धर्म पर आधारित पढ़ाई करवाते हैं तो फिर अलग-अलग बैठाकर पढ़ाई कराने का मतलब क्या है? ऐसे में इन दोनों विभागों को मर्ज कर दिया जाना चाहिए।
यूनिवर्सिटी में एडमिशन परीक्षा के आधार पर हो
यूजीसी का कहना है कि यूनिवर्सिटी में एडमिशन का आधार परिक्षा को बनाया जाना चाहिए। जिस तरह से इंजीनियरिंग व मेडिकल में परिक्षा पर तर्ज पर एडमिशन होता है वैसा ही अन्य डिग्री प्रोग्राम में भी नेशनल लेवल की प्रवेश परीक्षा होनी चाहिए। इन सब चीजों के लिए प्रश्न पत्र, परीक्षा व रिजल्ट आदि का एक सेटअप तैयार होना चाहिए।
एल्यूमनाई का दखल बंद हो
यूजीसी समिति ने माना कि एएमयू में पूर्व छात्र बेवजह दखल देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई पूर्व छात्र आर्थिक रूप से विश्वविद्यालय की मदद करते हैं। हालांकि पूर्व छात्रों का बेवजह का दखल रोकने के लिए एएमयू में अतिरिक्त फंड बढ़ाना होगा ताकि विश्वविद्यालय प्रबंधन यूजीसी नियमों के तहत फैसले ले सके।
Created On :   19 Nov 2017 9:24 AM GMT