विवाह पंचमी आज, इस मुहूर्त में करें पूजन ये है पूर्ण विधि

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विवाह पंचमी आज, इस मुहूर्त में करें पूजन ये है पूर्ण विधि
विवाह पंचमी आज, इस मुहूर्त में करें पूजन ये है पूर्ण विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विहार पंचमी अथवा विवाह पंचमी हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी बांकेबिहारी के प्रकट होने की तिथि भी है। रामायण के अनुसार त्रेता युग में सीता-राम का विवाह अगहन की इसी तिथि के दिन हुआ माना जाता है। इस दुर्लभ तिथि में अब दाे दिन ही शेष हैं। इस बार यह तिथि 23 नवंबर को पड़ रही है। मार्गशीर्ष की इस तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। अनेक स्थानों पर विवाह उत्सव का आयोजन होता है। जहां राम-सीता विधि विधान से एक-दूसरे से ब्याहे जाते हैं।  मान्यता है कि पंचमी की इसी तिथि को भगवान राम और सीता के विवाह की खुशी में देवता भी मग्न हो गए थे

 

त्रेतायुग की विवाह विधियां

भारत के राम-सीता मंदिरों में इसका खास माहौल देखने मिलता है। राम-जानकी विवाह का आयोजन होता है। प्रभु श्रीराम की बारात निकाली जाती है और रात होते ही शुभ मुहूर्त में विधिवत तरीके से विवाह करवाया जाता है। इस दौरान विवाह की वे सभी विधियां संपन्न होती हैं जो विवाह के दौरान की जाती हैं या त्रेतायुग में की गई थीं। महाराज जनक ने सीता के विवाह हेतु स्वयंवर रचाया था। 

 

राम-जानकी विवाह प्रसंग तक

राम-जानकी विवाह के दूसरे दिन श्रीराम कलेवा होता है। रामचरित मानस का पाठ सदैव ही भक्तों के लिए परम धाम को पहुंचाने वाला बताया गया है। इसलिए दूसरे दिन अनेक स्थानों पर रामचरित मानस का पाठ भी कराया जाता है लेकिन हमेशा से अलग इस अवसर पर सिर्फ राम-जानकी विवाह प्रसंग तक संपन्न कराया जाता है।

 

विवाह विधि
-राम विवाह का संकल्प प्रातः ही लें। 
-राम-जानकी विवाह कार्यक्रम विधि-विधान से प्रारंभ करें। 
-राम-जानकी विवाह की प्रतिमा या चित्र के साथ ही पूर्ण विधि संपन्न करें। 
-भगवान राम को पीले वस्त्र एवं माता सीता को लाल वस्त्र अर्पित करें। 
-इसके पश्चात बालकांड में निहित विवाह प्रसंग का पाठ करें या ॐ जानकीवल्लभाय नमः  इस मंत्र जाप करें। 
-सीता माता और भगवान श्रीराम का विधि-विधान अनुसार गठबंधन करें उनकी आरती उतारें। 
-राम-सीता की आरती जो रामचरितमानस में वर्णित है इस दौरान गायी जा सकती है। 
-गांठ लगे इन वस्त्रों को अपने पास रखें ।
-विवाह प्रसंग तक रामचरितमानस का पाठ करें।  

 

माता सीता को अनन्य कष्टों का सामना करना पड़ा

पंचमी की विवाह तिथि के बाद राम-जानकी विवाह प्रसंग के संबंध में ऐसी मान्यता है कि इसके बाद माता सीता को अनन्य कष्टों का सामना करना पड़ा, इसलिए राम-जानकी विवाह जैसे शुभ प्रसंग के बाद आगे की कड़ी पढ़ने की बजाए उसे यहीं संपन्न करा देना चाहिए। 

 

पूजन मुहूर्त

दिन 11:26 से दिन 12:26 तक है। 

पूजन मंत्र: ॐ जानकीवल्लभाय नमः ॥

Created On :   18 Nov 2017 2:47 AM GMT

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