ग्रामीण क्षेत्रों में नॉन-क्लीनिकल डॉक्टरों का क्या काम?

What is the work of non-clinical doctors in rural areas
ग्रामीण क्षेत्रों में नॉन-क्लीनिकल डॉक्टरों का क्या काम?
ग्रामीण क्षेत्रों में नॉन-क्लीनिकल डॉक्टरों का क्या काम?

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। नॉन क्लीनिकल डॉक्टरों का कोर्स पूरा होने के बाद एक वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्र में काम करने के अनुबंध को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। एक मामले में दावा किया गया है कि नॉन क्लीनिकल डॉक्टरों का काम मेडीकल छात्रों को पढ़ाने का होता है, ऐसे में उनकी सेवाओं का क्या तुक है। जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस अंजुली पालो की डबल बेंच ने मामले पर राज्य सरकार, DME व अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने कहा है।

डॉ. अनुभूति खरे की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि उन्होंने सरकारी मेडीकल कालेज से ऩन क्लीनिकल विषय से पीजी कोर्स किया है। इस कोर्स के पूरा होने पर वो मेडीकल छात्रों को पढ़ा तो सकती हैं, लेकिन मरीजों का उपचार नहीं कर सकती। आवेदक का कहना है कि असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए एक वर्ष के स्पेशल रेसीडेंटशिप के अनुभव की आवश्यकता है, इसके लिए उन्होंने कॉलेज में ओरिजनल दस्तावेज मांगे थे। एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवाएं न देने की बाध्यता के चलते उन्हें दस्तावेज देने से मना कर दिया गया, जिसके खिलाफ यह याचिका दायर की गई।

मामले पर हुई प्रारंभिक सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदित्य संघी ने पक्ष रखा। सुनवाई के बाद डबल बेंच ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।

Created On :   13 Sep 2017 5:10 PM GMT

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