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शीतसत्र में किसान व कर्जमाफी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शीतसत्र के दौरान सरकार को घेरने की तैयारी तो वैसे कई संगठनों ने की है। जहां तक पॉलिटिकल पार्टियों की बात है तो इस मामले में कांग्रेस रणनीति तय नहीं कर पाई है। वहीं राकांपा ने विविध स्तर पर आंदोलन की तैयारी की है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रहे असमंजस के चलते भाजपा के अन्य सहयोगी दल भी दिशा तय नहीं कर पा रहे हैं। इस बीच सभी राजनीतिक दलों की ओर से कहा जा रहा है कि किसान व कर्जमाफी का मामला ही प्रमुखता से शीतसत्र में उठाया जाएगा।
मोर्चा की तैयारी
शीतसत्र आरंभ होते ही 13 दिसंबर को विधानभवन पर मोर्चा ले जाकर सरकार का विरोध किए जाने की बात राज्य कांग्रेस द्वारा की जा रही है। इस संबंध में जिला स्तर पर नियोजन बैठकें की जा रही हैं। नागपुर में भी शहर कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं से मोर्चे की तैयारी में जुटने के लिए कहा है। किसानों की कर्जमाफी व कीटनाशक के छिड़काव के प्रभाव में किसानों की मृत्यु के मामले को लेकर भी सरकार के विरोध में कांग्रेस प्रदर्शन करेगी। हालांकि अभी रणनीतिक निर्णय तय नहीं हुए हैं। 14 नवंबर को मुंबई में प्रदेश कांग्रेस की बैठक में कुछ विषयों पर चर्चा अवश्य हुई, लेकिन सरकार को घेरने के संबंध में सब कुछ तय नहीं हो पाया है।
नागपुर में ही यह होगी रणनीति
सरकार को घेरने के लिए इस बार मुंबई के बजाय नागपुर में ही रणनीति तय होगी। 19 नवंबर को नागपुर में कांग्रेस का इंदिरा गांधी जयंती समारोह का समापन कार्यक्रम है। प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण व प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश के अलावा पार्टी के अन्य केंद्रीय पदाधिकारी कार्यक्रम में रहेंगे। प्रदेश महासचिव रामकिशन ओझा के अनुसार कांग्रेस नेताओं ने कृषि संकट पर प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का जायजा लिया है। शीतसत्र में निश्चित ही किसानों के मामले ही सरकार के विरोध में कांग्रेस के शस्त्र बनेंगे।
एनसीपी दिखाएगी अपना पावर
एनसीपी ने अपने बल पर सरकार के विरोध में पावर दिखाने की तैयारी की है। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई में घोषणा भी की है। इसी माह के अंतिम सप्ताह में एनसीपी सरकार के विरोध में सड़क पर दिखेगी। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार 4 दिन के विदर्भ दौरे पर हैं। वे न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से मिल रहे हैं, बल्कि सामाजिक व अन्य क्षेत्र में कार्य कर रहे गैर राजनैतिक लोगों से भी मिल रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि एनसीपी कर्जमाफी के मामले पर सरकार के विरोध में आंकड़ों के साथ प्रहार करेगी। लिहाजा कृषि संगठनों व किसानों नेताओं से भी मुलाकात करके सरकार के विरोध में प्रदर्शन को सफल बनाने का आह्वान किया जा रहा है।
विधानभवन की सुरक्षा दीवार का भी विरोध
विधानभवन की टीन की सुरक्षा दीवार को लेकर आम आदमी पार्टी ने विरोध जताया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम एक ज्ञापन उनकी विशेष कार्यकारी अधिकारी आशा पठान को सौंपा है। आम आदमी पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि टीन की सुरक्षा दीवार का औचित्य हीं नहीं है। नागपुर का विधानभवन ब्रिटिशकालीन इमारत है। इमारत की कम ऊंचाई की दीवार थी। 2012 में सुरक्षा दीवार ऊंची करने का निर्णय लिया गया। निर्माण कार्य पर 1 करोड़ 20 लाख 47 हजार 027 रुपए खर्च किए गए। 2013 में सुरक्षा दीवार तैयार हुई, लेकिन अब विधानभवन को टीन लगाकर दूसरी सुरक्षा दीवार तैयार की जा रही है। यह राज्य के नागरिकों से वसूले गए टैक्स का दुरुपयोग है।
शीतसत्र के एक दिन पहले काम बंद करेंगे मनपा ऐवजदार
लंबे समय से सेवा देने के बाद भी मांगों को अनदेखा किए जाने से आक्रोशिक मनपा के ऐवजदार राज्य विधानसभा के पहले दिन आंदोलन करेंगे। इस संदर्भ में नागपुर महानगरपालिका ऐवजदार-रोजंदारी सफाई कामगार संगठन के अध्यक्ष बाबा हाडके ने कहा कि 30 वर्ष से सेवा दे रहे ऐवजदारों की मांगें काफी पुरानी है। इन्हें स्थायी करने का बार-बार आश्वासन देकर धोखा दिया गया है।
शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने में ऐवजदार अपना खून-पसीना बहाते हैं, लेकिन उनकी मांगों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है फलस्वरूप शीतसत्र शुरू होने से एक दिन पहले काम बंद आंदोलन करेंगे। हाड़के ने कहा कि स्थायी नौकरी के लिए आंदोलन करने पर हमेशा आश्वासन की खैरात बांटी गई। इसलिए उन्होंने काम बंद आंदोलन का रास्ता अपनाया है।
ऐवजदार कर रहे मेहनत,मनपा ले रही श्रेय
नागपुर मनपा में 4300 ऐवजदार सन् 1986 से स्वच्छता सेवा दे रहे हैं। हाडके ने कहा कि ऐवजदारों के भरोसे मनपा को स्वच्छता पुरस्कार प्राप्त हुआ। जिनके कंधों पर मनपा ने स्वच्छता अभियान में अपनी पीठ थपथपाई, उन्हें स्थाई करने में टालमटोल किया जा रहा है। नागपुर मनपा में 15 वर्ष से भाजपा की सत्ता है। इससे पहले राज्य में कांग्रेस की सत्ता होने का बहाना बताया जाता रहा। अब केंद्र से लेकर प्रदेश और मनपा में भाजपा की सत्ता है। इसके बाद भी उन्हें स्थाई करने के लिए बहानेबाजी की जा रही है।
30 साल से कर रहे काम, नहीं हुए स्थायी
30 साल से सेवा देने के बाद भी स्थाई नहीं किए जाने से अब आश्वासनों पर विश्वास नहीं रहा। सरकार की ऐवजदार विरोधी नीति से त्रस्त होकर शीतसत्र शुरू होने के एक दिन पहले से काम बंद आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया गया है। जब तक स्थाई नहीं किया जाता, तब तक आंदोलन जारी रखने की उन्होंने चेतावनी दी। पत्र परिषद में संगठन के महासचिव सुरेश श्रीरामे, कोषाध्यक्ष बुद्धराज बनकर, बंडू फूलकर, नंदकिशोर धकाते, सुलभा मड़ावी आदि उपस्थित थे।
Created On :   17 Nov 2017 1:02 PM GMT