सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर संवैधानिक पीठ लेगी फैसला

Women right activists hopeful for landmark judgment in Sabarimala Temple case
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर संवैधानिक पीठ लेगी फैसला
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर संवैधानिक पीठ लेगी फैसला

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। केरल के सुप्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है। साथ ही इस बात की जांच होगी कि क्या धार्मिक संस्थाएं महिलाओं का प्रवेश को रोक सकती है। 

SC से सभी महिला कार्यकर्ता एक सकारात्मक और ऐतिहासिक फैसले की उम्मीद कर रही थी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा थी, जो सबरीमाला हिल मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को चुनौती दे रही है। 

केरल के इस मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है। यह मंदिर केरला के पत्थरमथिट्टा जिले में स्थित है। 

महिला कार्यकर्ताओं को बैन हटने की उम्मीद
 
इस मामले में महिला अधिकार कार्यकर्ता बिंद्रा अदगे का कहना है। कि "पिछले कुछ महीनों से हमने देखा है कि सुप्रीम कोर्ट कई प्रगतिशील और ऐतिहासिक निर्णय ले रहा है। हमें उम्मीद है कि सबरीमाला में आने वाले समय में महिलाओं का प्रवेश सकारात्मक होगा। मुझे यकीन है कि SC का निर्णय बहुत सकारात्मक और मील का पत्थर साबित होगा।" वहीं एक और महिला अधिकार कार्यकर्ता सास्वाती घोष ने भी सर्वोच्च न्यायालय के आने वाले फैसले पर अपना विश्वास जताया है। घोष ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि SC महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दे देगा और अगर वो ऐसा नहीं होता है तो फिर यह नहीं कहा जा सकता कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। वैसे मुझे पूरी उम्मीद है कि प्रतिबंध को हटा दिया जाएगा।"

गौरतलब है कि 2007 में केरल सरकार ने भी मंदिर प्रशासन के समर्थन में कहा था कि धार्मिक मान्यताओं की वजह से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी और तपस्या लीन माना जाता है। सबरीमाला मंदिर में परंपरा के अनुसार, 10 से 50 साल की महिलाओं की प्रवेश पर प्रतिबंध है। मंदिर ट्रस्ट की मानें तो यहां 1500 साल से महिलाओं की प्रवेश पर बैन है। इसके लिए कुछ धार्मिक कारण बताए जाते रहे हैं। केरल के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2006 में पीआईएल दाखिल की थी। करीब 11 साल से यह मामला कोर्ट में अधर में लटका हुआ है।
 

मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश को लेकर आवाज तेज

सबरीमाला मंदिर का मामला पहला नहीं है, जहां महिलाओं के प्रवेश को लेकर बात उठी है। इससे पहले महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर व्यापक आंदोलन किया गया। भूमाता ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई इस आंदोलन का चेहरा बनी। नतीजा ये रहा कि शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश और पूजा का अधिकार मिला। इसके अलावा हाजी अली दरगार, नासिक के कपालेश्वर, त्र्यंबकेश्वर मंदिर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में प्रवेश को लेकर भी आंदोलन किया जा चुका है। 

 

 

Created On :   13 Oct 2017 2:52 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story