ब्लू व्हेल से ऐसे रोकें बच्चों को

Workshop organized in bhopal on blue whale game
ब्लू व्हेल से ऐसे रोकें बच्चों को
ब्लू व्हेल से ऐसे रोकें बच्चों को

भोपाल। वर्तमान समय में परिवार अपने काम-काज में इतने व्यस्त हैं कि वे अपने बच्चों को समय नहीं दे पा रहे। यही वजह है कि बच्चे अकेलापन महसूस कर रहे हैं। यही अकेलपान बच्चों को ब्लू व्हेल जैसे खतरनाक गेम खेलने को मजबूर कर रहा है। ऐसे में माता-पिता और स्कूल के शिक्षक किशोर-किशोरियों पर ध्यान रखें कि वे कौन-कौन सी गतिविधि कर रहे हैं। यह बातें सरोकार समिति के अध्यक्ष एवं कार्यशाला के आयोजक राहुल कोठारी ने ब्लू व्हेल पर आयोजित कार्यशाला में कहीं। 

भोपाल में आयोजित इस कार्यशाला में आईटी विशेषज्ञ, साइबर क्राइम विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक, बच्चों के काउंसलर, कला विशेषज्ञ, योग विशेषज्ञ, शिक्षा विभाग, खेल विभाग, अभिभावकों एवं छात्रों ने ब्लू व्हेल की चुनौती और समाधान की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
 इस अवसर पर मध्यप्रदेश बाल आयोग के पूर्व सदस्य श्री विभांशु जोशी ने बताया कि ब्लू व्हेल एक डिजिटल डिजास्टर है और इससे बचाने के लिए भारत सरकार को नई डिजिटल सेफ्टी गाइड लाइन बनाकर बच्चों को सुरक्षा प्रदान कर इसे नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एथारिटी के कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए।
               
किसने क्या कहा
साइकोलॉजिस्ट अदिति सक्सेना- बच्चों को अकेला न छोड़ें। माता-पिता बच्चों से बातें करते रहें। बच्चों को टोकने और निर्देश देना ठीक नहीं होता इसलिए उनके साथ खुद भी बच्चे बन जाएं और उन्हें समझाएं। 

विभांशु जोशी (मध्यप्रदेश बाल आयोग के पूर्व सदस्य) - ब्लू व्हेल एक डिजिटल डिजास्टर है और इससे बचाने के लिए भारत सरकार को नई डिजिटल सेफ्टी गाइड लाइन बनाकर बच्चों को सुरक्षा प्रदान कर इसे नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एथारिटी के कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए।
  
जिला खेल अधिकारी- इंटरनेट पर ऐसे खेलों को सरकार प्रतिबंधित करे ताकि बच्चे उन खेलो को खेल ही न सकें। सरकार के पास ऐसे कानून हैं जिनसे यह खेल रोके जा सकते हैं।

पूर्व वाइस चांसलर डॉ. रामप्रसाद- जब हमारे बच्चे हाइवे पर गाड़ी चलाते हैं तो हम उन्हें यातायात के नियम समझाते हैं। ऐसे में आज इंटरनेट एक सुपर हाइवे बन गया है, बच्चों को तकनीक के नियम भी पालकों को ही समझाने होंगे ताकि वे सही निर्णय ले सकें।

विश्वास घुषे- (दार एंड नो मोर मिशन के संस्थापक)-  यदि आपका बच्चा गुमसुम रहने लगा है, छिपकर इंटरनेट का इस्तेमाल करता है, सुबह 4 बजे उठकर और देर रात तक इंटरनेट चलाता है, बच्चों के शरीर पर चोट के निशान दिखने शुरू हो जाते हैं, इंटरनेट का इस्तेमाल न कर पाने के कारण उनका चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है तो बच्चों पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
  

Created On :   7 Sep 2017 3:22 PM GMT

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