योगा में जीते तीन गोल्ड मेडल, पढ़ाई के लिए करती है मजदूरी

Yoga gold medalist girl living as labourer
योगा में जीते तीन गोल्ड मेडल, पढ़ाई के लिए करती है मजदूरी
योगा में जीते तीन गोल्ड मेडल, पढ़ाई के लिए करती है मजदूरी

टीम डिजिटल, रायपुर। एक ओर देश जहां "विश्व योग दिवस'' मनवाकर योग में दुनिया का पुरोधा बन रहा है, वहीं योगा में तीन गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतने वाली 19 वर्षीय दामिनी साहू आज भी अपना घर चलाने और पढ़ने के लिए मजदूरी करने को मजबूर हैं। दक्षिण-एशियाई योग स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में काठमांडू जाने के लिए दामिनी के पास किराया तक नहीं था।

छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर से करीब 65 किमी दूर डाररा गांव की निवासी दामिनी ने सात साल की उम्र में योग का अभ्यास शुरू किया था। दामिनी ने दक्षिण-एशियाई योग स्पोर्ट्स चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था। यह चैम्पियनशिप काठमांडू में 6-9 मई को आयोजित हुई थी।

 

दामिनी ने कहा कि वह पिछले कुछ महीनों से एक श्रम कार्ड पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। कहा कि "रोज 8-10 घंटे मजदूरी करने के बाद मैं मुश्किल से 100-150 रुपए कमा पाती हूं। मेरी मां भी एक मजदूर है, जबकि मेरे पिता दहिने हाथ से अपाहिज हैं और गुब्बारे बेचकर जीविका चलाते हैं'। योग चैंपियन ने कहा है कि उसकी तीन छोटी बहनें हैं।

प्रथम वर्ष बीकॉम के एक छात्रा, दमिनी ने कहा, "मेरा स्कूल ही मेरे लिए प्रेरणा का एक स्रोत रहा है। अगर मुझे शाम को थोड़ा समय मिलता है तो में सिर्फ योगा करती हूं।"

कर्ज लेकर गई नेपाल, मजदूरी से भरपाई  

अपनी आप बीती में 3 गोल्ड मेडल जीतने वाली दामिनी ने कहा, 'मेरे पास नेपाल जाने का किराया तक नहीं था। इसके लिए अपने क्षेत्र के विधायक और राज्य सरकार में स्वास्थ्य और पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चन्द्रकर से अनुरोध भी किया था, लेकिन निराशा हाथ लगी। अंत में मुझे योग स्पोर्ट्स इवेंट में भाग लेने के लिए 2 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ा। यह कर्ज आज भी मैं मजदूरी करके चुका रही हूं'।

Created On :   28 Jun 2017 3:54 PM GMT

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