100 गुलामों से बढ़ा समुदाय, भारत में यहां बसता है अफ्रीका
डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। गुजरात के गिर जंगलों की ओर जाएं तो वहां कुछ और भी है जो आपको हैरान कर सकता है। वह है मशहूर गिर जंगल के बीच बसी आदिवासी जनजाति ""सिद्दी""। इनके गांव को ""जंबूर"" नाम से जाना जाता है। अन्य जनजातियों से जुदा ये पूरी तरह अफ्रीकी जनजाति की तरह लगते हैं। रहन-सहन और व्यहार भी उन्हीं की तरह है। इसी वजह से इसे गुजरात का अफ्रीका भी कहा जाता है...
फिल्म खुशबू गुजरात की
इतिहासकारों के अनुसार आज से लगभग 750 साल पहले जूनागढ़ के तत्कालीन नवाब अफ्रीका गए थे। उन्होंने वहां एक अफ्रीकी महिला से निकाह कर लिया और वो अपने साथ 100 गुलामों को भारत लेकर आई। वहीं से धीरे-धीरे सिद्दी आदिवासीयों का समुदाय जूनागढ़ में विकसित हुआ। लेकिन कुछ समय बाद ये कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में भी जाकर बस गए।
ईसाई, इस्लाम और हिंदू
सिद्दी आदिवासी मूल रूप से अफ्रीका के समुदाय से जुड़े हैं अफ्रीका की इस जनजाति का विकास जूनागढ़ में हुआ सिद्दी लोगों में कुछ ने इस्लाम, तो कुछ ने ईसाई धर्म को अपनाया है, जबकि बहुत कम संख्या में लोग हिंदू धर्म को भी मानते हैं। इन्हें गुजरात टूरिज्म के लिए बनी फिल्म ""खुशबू गुजरात की"" में भी दिखाया गया है।
परंपरा को लेकर सख्त
सिद्दी आदिवासी विवाह परंपरा को लेकर बड़े सख्त हैं। ये सिर्फ अपने समुदाय में ही शादी करते हैं। सिद्दी आदिवासी किसी भी हाल में दूसरे समुदायों में शामिल नहीं होते। आंकड़ों के अनुसार फिलहाल भारत में सिद्दी समुदाय के 50 हजार से अधिक लोग हैं।
Created On :   18 Aug 2017 8:54 AM IST