आज भी मौजूद है चेरनोबिल प्लांट के अंदर ये जानलेवा लावा
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। आज तक के हुए सबसे खतरनाक मानव निर्मित आपदा में चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र, नागासाकी और हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बमों के मुकाबले लगभग 100 गुना ज्यादा रेडिएशन छोड़ने के लिए जिम्मेदार है। ये आपदा शनिवार, 26 अप्रैल, 1986 को एक परीक्षण के दौरान चेरनोबिल परमाणु संयंत्र के चौथे हिस्से से शुरु हुई थी ।
दरसल ये दुर्घटना एक सिस्टम के पॉवर फेलियर की वजह से हुई थी। आपातकालीन स्थिति में जब इस पर काबू पाने की कोशिश की गई तो उल्टा विद्युत का उत्पादन और तेजी से बढ़ने लगा था। इससे एक संयंत्र टूट गया, इस वजह से विस्फोट श्रंखला शुरू हो गई। तेज हवा और आग की वजह से रेडिएशन तेजी से आस-पास के क्षेत्रों में फैल गया।
इस वक्त हुई थी ये घटना
26 अप्रैल, 1986
1:23:04 AM- नॉर्मल जांच शुरू की गई थी।
1:24 AM- रिएक्टर नंबर 4 में अचानक दबाव बढ़ते जा रहा था। इस वजह से लगातार एक्सप्लोशन होना शुरू होगया था। धीरे-धीरे वातावरण में हर तरफ रेडिएशन फैल गया था।
1:45 AM - फायर फाइटर्स इस जगह पर पहुंचे, जिन्हे रेडिएशन के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।
27 अप्रैल, 1986
इस दिन पूरे शहर को खाली किया जा रहा था। रेडिएशन का असर इतना खतरनाक था कि कई लोग आज तक इस वजह से अपाहिज या पीड़ित है। सबसे ज्यादा इसका असर बेलारूस में देखने को मिला। 43,000 निवासियों को खाली करने के लिए लगभग 3 घंटे लग गए थे। निवासियों को सकारात्मक बनाए रखने के लिए थोड़े समय के लिए , प्रिप्यात एम्यूजमेंट पार्क को खोला गया था।
एलीफैंट फुट
कहा जाता है की प्लांट के अंदर आज भी एक संरचना है, जिसे हाथी के पैर के रूप में जाना जाता है। ये संरचना एक पिघले हुए लावा की तरह दिखाई देती है और इतनी घातक है कि 30 सेकंड का एक्सपोजर एक व्यक्ति के मृत्यु का कारण बन सकता है। रेडिएशन की मात्रा यहां पर इतनी ज्यादा है की आने वाले 100 सालो तक इस शहर में रहना लोगो के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।
Created On :   5 April 2018 2:27 PM IST