हाड़ कपाने वाली सर्दी में बर्फ की सिल्ली पर सोता है ये अनोखा शख्स
डिजिटल डेस्क,हरियाणा। सोचिए अगर आपको भरी सर्दी में बर्फ के ऊपर सोना पड़े और गर्मी में अलाव सेकना पड़े तो क्या होगा। आप कहेंगे कोई पागल ही होगा जो ऐसा करेगा। भला सर्दी के मौसम में कौन बर्फ पर सोने के बारे में सोचेगा और गर्मी में अलाव सेकने की, लेकिन आपको बता दें कि एक बुजुर्ग व्यक्ति ऐसे भी हैं जो हाड़ कपाने वाली सर्दी में भी बर्फ की सिल्ली पर सोते हैं। इतना ही नहीं वो बर्फ को खाते भी हैं और गर्मीयों में अलाव सेकते हैं। सुनकर आपको लग रहा होगा कि ये कैसे हो सकता है, लेकिन ये बात एकदम सही है। डॉक्टर खुद इसे लेकर हैरान है। वे समझ ही नहीं पा रहे कि ऐसा कैसे हो सकता है।
हरियाणा के महेंद्रगढ़ के गांव डेरोली अहीर का रहने वाले संतलाल सभी के लिए एक पहली बने हुए हैं। ये शख्स तपती गर्मी में कंबल ओढ़े रहता है। साथ ही अलाव भी सेकता है और सर्दी में आइस्क्रीम खाता है। संतलाल का कहना है कि गर्मी में अगर अलाव न मिले तो उन्हें नींद नहीं आती और कंपकंपी चढ़ी रहती है। ज्येष्ठ माह में जब लोग लू से बचने के लिए एसी, कूलर का प्रयोग करते हैं। उस समय संतलाल को दिन में चलने वाली लू सोने पर सुहागे का काम करती है। लू से बचने के लिए वे कंबल और रजाई ओढ़ते हैं। दिन में 10 बजने के बाद अलाव का सहारा लेना पड़ता है। संतलाल के गांव वालों का कहना है कि वो बचपन से उसे ऐसा ही देखते आ रहे हैं और जो वे कह रहे हैं बिलकुल सही कह रहे हैं।
संतलाल का शरीर मौसम के विपरीत चलता है। उनका कहना है कि सर्दी के मौसम में अगर वे बर्फ न खाएं तो उन्हें चैन नहीं आता। भरी सर्दी में दिन में कम से कम 3 बार नहाना पड़ता है। अब ये सब संतलाल की आम दिनचर्या बन गई है। संतलाल के घर वालों के लिए भी अब ये सब आम हो गया है। ये सब करना संतलाल के लिए अब एक नशे की तरह हो गया है, अगर उनको गर्मी में आग और सर्दी में बर्फ न मिले तो समझो शरीर और दिमाग में खलबली मचने लगती है। संतलाल का रोज का खाना पीना भी दाल रोटी ही है। इन्होंने साल 1976-77 में मैट्रिक पास की। 21 साल की उम्र में इनकी शादी हुई। अब लोग इनको मौसम विभाग के नाम से पुकारते हैं।
संतलाल के बारे में डिप्टी सीएमओ डा. अशोक कुमार कहते हैं कि सर्दी और गर्मी का एहसास हमारे दिमाग में स्थित थर्मोरेगुलेटरी प्वाइंट से होता है। इस थर्मोरेगुलेटरी प्वाइंट को थैलेमस व हाईपो थैलेमस कंट्रोल करते हैं। इससे संबंधित कोई बीमारी होने पर ही इंसान को अहसास होता है। मेडिकल कॉलेज स्तर पर यह एक शोध का विषय है।
Created On :   31 Jan 2019 4:58 PM IST