जबलपुर: पहाड़ी-चट्टान की जमीन अचानक पट्टे की हो गई, बेचने के फेर में पकड़ा गया मामला

  • पट्टेधारक बता ही नहीं पाए कि उनके पास कैसे आई जमीन
  • कलेक्टर ने दिया जमीन को शासकीय मद में दर्ज करने का आदेश
  • ऐसी भूमि का अंतरण कलेक्टर की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।

Safal Upadhyay
Update: 2024-05-02 10:50 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मौजा नयागाँव पटवारी हल्का चौरई तहसील जबलपुर की 2 हेक्टेयर भूमि को कलेक्टर ने सरकारी मद में दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। यह भूमि किसी समय पहाड़ी और चट्टान मद में दर्ज थी और उसके बाद वह पट्टे के आधार स्वामी हक में चली गई, लेकिन यह कैसे हुआ और जमीन स्वामी हक में कैसे गई इसका कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया जा सका।

वहीं इस मामले में एक पक्ष यह भी रहा कि जमीन को विक्रय करने के पहले कलेक्टर की अनुमति नहीं ली गई थी, जबकि पट्टे की भूमि को बेचने के पहले कलेक्टर से अनुमति लेना जरूरी होता है।

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी दीपक सक्सेना ने अपर कलेक्टर एवं अनुभागीय राजस्व न्यायालय के प्रतिवेदन के आधार पर तहसील जबलपुर अंतर्गत ग्राम नयागाँव पटवारी हल्का चौरई के खसरा नम्बर 213 रकबा 2.00 हेक्टेयर भूमि से संबंधित प्रकरण की सुनवाई की।

प्रकरण श्रीमती माया सिंह पति पुष्पेन्द्र सिंह, निवासी शक्ति नगर शिवाजी चौक 90 क्वार्टर के पास जिला जबलपुर द्वारा ग्राम नयागाँव रानिमं बरगी स्थित भूमि खनं 213 से संबंधित है। आवेदिका ने अहस्तांतरणीय की प्रविष्टि त्रुटिपूर्ण बताते हुए खसरे से विलोपित किए जाने का आवेदन प्रस्तुत किया था।

अनुविभागीय अधिकारी अभिषेक सिंह ठाकुर द्वारा उक्त भूमि में शासन का हित निहित होने के कारण न्यायालय कलेक्टर में प्रस्तुत किया गया। उक्त विषय पर मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 यथा संशोधित 2018 में स्पष्ट प्रावधान है कि शासन से पट्टे पर दी गई भूमि, भले ही धारा 158-3 के तहत पट्टेदार को भूमि स्वामी हक ही क्यों न प्राप्त हो, ऐसी भूमि का अंतरण कलेक्टर की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।

इस प्रकरण में परीक्षण में आवेदित भूमि का मूल खनं 126-1, 126-2 रकबा क्रमशः 202.585, 0.162 हेक्टेयर होकर वर्ष 1979-80 से 1980-81 में भूमि सरकार मद पहाड़-चट्टान दर्ज थी। इस प्रकार भूमि शासकीय दर्ज थी, जिसका मद पहाड़-चट्टान था।

जिसमें प्रभाबाई पति छोटेलाल साहू द्वारा कब्जा किया जाना उल्लेखित था। वर्ष 1988-89 से 1989-90 में भूमि स्वामी हक में दर्ज हुई किन्तु बेजा कब्जेदार से भूमि स्वामी हक में किस प्रकार दर्ज हुई, इस संबंध में कोई जानकारी संलग्न प्रस्तुत नहीं की गई है।

इस प्रकार जब वैध रूप से शासन से भूमि प्राप्त होना ही प्रमाणित नहीं है तो भूमि स्वामी हक प्राप्त होने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होने पर एवं भूमि विक्रय किए जाने के पूर्व कलेक्टर की अनुमति नहीं होने पर प्रभाबाई पति छोटेलाल, आरती जोजे तेजप्रकाश, विकास कुमार वल्द नरेन्द्र कुमार गुप्ता का स्वत्व ही अवैधानिक पाया गया और शासकीय मद में दर्ज करने का आदेश दिया गया।

इसके अतिरिक्त अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जबलपुर को उक्त पुराना खसरा नंबर 126-1 एवं 126-2 शासकीय मद पहाड़-चट्टान की भूमि के वर्तमान नवीन नंबर के संबंध में जाँच कराई जाकर प्रतिवेदन सहित प्रकरण तैयार कर वैधानिक कार्रवाई किए जाने हेतु निर्देशित किया गया है।

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