जबलपुर: 700 मेगावॉट तत्काल बिजली खरीदी में नियामक आयोग ने माँगा स्पष्टीकरण

  • उपभोक्ता मंच ने लगाए हैं 600 करोड़ घोटाले के आरोप
  • बिजली खरीदी में नियमों का उल्लंघन होने का आरोप लगाते हुए विद्युत नियामक आयोग को शिकायत भेजी थी।
  • तत्काल बिजली खरीदी में हुए 428 करोड़ के खर्च को आयोग ने नामंजूर किया है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-23 13:06 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। विगत 27 अप्रैल को रात में हुई 700 मेगावाॅट की तत्काल बिजली की खरीदी के मामले में विद्युत नियामक आयोग ने गंभीरता दिखाते हुए बिजली कम्पनियों से स्पष्टीकरण माँगा है।

सूत्रों ने बताया कि आयोग के इस हस्तक्षेप से बिजली कंपनियों के उच्च अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। उल्लेखनीय है कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे ने तत्काल बिजली खरीदी में नियमों का उल्लंघन होने का आरोप लगाते हुए विद्युत नियामक आयोग को शिकायत भेजी थी।

शिकायत में बताया था कि प्रतिस्पर्धात्मक बोली से बिजली खरीदी के नियमों को ताक पर रखकर "स्ट्रे ऑफर" देने वालों को लेटर ऑफ इंटेंट जारी किए गए। मेरिट ऑर्डर सिद्धांतों की अनदेखी की गई।

आयोग द्वारा निर्धारित "बैंड ऑफ प्राईसेस" से लगभग 4 रुपए प्रति यूनिट ज्यादा देकर ऊँचे दामों पर बिजली खरीदी की गई। इस पूरे मामले में 600 करोड़ का घोटाला हुआ। पॉवर परचेस रेगुलेशन्स का उल्लंघन हुआ।

अतिरिक्त खर्च राशि को नामंजूर करे आयोग

उपभोक्ता मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे, रजत भार्गव, मनीष शर्मा ने विद्युत नियामक आयोग को पत्र भेजकर प्रार्थना की कि इस समूचे मामले में हुई करोड़ों की अतिरिक्त खर्च राशि को नामंजूर कर उपभोक्ताओं को आर्थिक बोझ से राहत दें।

पूर्व में ऐसे ही तत्काल बिजली खरीदी में हुए 428 करोड़ के खर्च को आयोग ने नामंजूर किया है। इस हेतु आयोग ने सुमोटो याचिका 28/2008 दायर की थी।

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