जबलपुर: हादसों का सबब बन रहे बेढंगे स्पीड-ब्रेकर घटनाओं से भी सबक नहीं ले रहे जिम्मेदार

  • मुख्य मार्गों से लेकर रिहायशी कॉलोनियों तक में नियमों के विपरीत बने हैं स्पीड-ब्रेकर
  • आए दिन गिरकर घायल हो रहे लोग
  • शहर में बेतरतीब ढंग से बने स्पीड-ब्रेकरों को हटाया जाना चाहिए

Safal Upadhyay
Update: 2024-04-19 10:22 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बेढंगे और नियमों के विपरीत बने स्पीड-ब्रेकर गंभीर और बड़े हादसों का कारण बन रहे हैं। इसका एक और दर्दनाक उदाहरण गत दिवस रतलाम के समीप केसूर-देपालपुर रोड पर सामने आया है।

यहाँ एक बेढंगे स्पीड-ब्रेकर से टकराकर अनियंत्रित हुई कार नील गाय से टकराई और 4 कुलाटी खाकर पलट गई। हादसे में 4 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे ने शहरवासियों के दर्द को जुबाँ पर ला दिया। लोगों का कहना है कि जबलपुर में मुख्य मार्गों पर ही नहीं बल्कि कॉलोनियों की सड़कों तक में बेढंगे स्पीड-ब्रेकर बने हुए हैं।

इनके कारण गिरने की वजह से विशेषकर मोपेड सवार बुजुर्ग, महिलाएँ और स्कूली छात्र-छात्राएँ आए दिन घायल हाे रहे हैं, लेकिन किसी को इसकी परवाह नहीं है।

लोगों का कहना है कि शहर में बेतरतीब ढंग से बने स्पीड-ब्रेकरों को हटाया जाना चाहिए और उनके स्थान पर नियमों के तहत ही इनका फिर से पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए।

कहीं भी नहीं लगाई गई सफेद व पीली पट्टी

नगर निगम एवं ट्रैफिक पुलिस की मानें तो किसी भी सड़क निर्माण के दौरान यदि स्पीड-ब्रेकर बनाया जाता है तो पहले यह मामला यातायात सुरक्षा समिति के पास जाना चाहिए। वहाँ से अनुमोदन मिलने के उपरांत ही निश्चित मापदंड के अनुरूप ब्रेकर बनवाए जाने चाहिए।

लेकिन वर्तमान में जहाँ भी सड़कें बनती हैं वहाँ पर कुछ लोग दबावपूर्वक जहाँ-तहाँ मनमाने स्पीड-ब्रेकर बनवा लेते हैं जो कि जानलेवा साबित होते हैं। इतना ही नहीं अधिकांश ब्रेकरों में सफेद-पीली पट्टी का भी पेंट नहीं किया जाता है और कई ब्रेकर तो मानकों से भी अधिक ऊँचे बने हुए हैं।

फाइबर के ब्रेकर भी टूट रहे, कोई नहीं दे रहा ध्यान

बेलगाम भागते वाहनों की गति नियंत्रित करने पिछले दिनों नगर निगम द्वारा गोकलपुर, रांझी, सिविल लाइन, विजय नगर एवं गोरखपुर आदि इलाकों में लाखों रुपये खर्च करके काले व पीले रंग वाले प्लास्टिक के स्पीड-ब्रेकर लगवाए गए थे।

लेकिन दिन-भर दौड़ रहे वाहनों के भार से ये भी टूट-फूटकर सड़कों पर ही बिखरे नजर आते हैं। कुछ जगह बचे हैं लेकिन इनकी भी दुर्दशा है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर बने बेहद ऊँचाई वाले स्पीड-ब्रेकर के कारण सर्वाइकल स्पाेंडिलाेसिस जैसे खतरनाक रोग भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहे हैं।

इसके बावजूद संबंधित जिम्मेदार गुणवत्तापूर्ण गति अवरोधक बनवाने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं।

नियमत: तीन इंच से अधिक नहीं होनी चाहिए ऊँचाई

गाड़ियों की बेकाबू रफ्तार को काबू में रखने के लिए शहर के शांति नगर, त्रिमूर्ति नगर, शताब्दीपुरम, कचनार सिटी रोड, घमापुर, बल्देवबाग एवं मदन महल आदि क्षेत्रों के मुख्य मार्गों से लेकर कॉलोनियों तक में स्पीड-ब्रेकरों का निर्माण किया गया है।

जानकारों के अनुसार किसी भी सड़क पर जब स्पीड-ब्रेकर बनाया जाता है तब कुछ विशेष नियमों का पालन भी करना जरूरी होता है। संबंधित गाइडलाइन के अनुसार किसी भी स्पीड-ब्रेकर की ऊँचाई 3 इंच से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

इसके साथ ही दोनों ओर 2 मीटर के स्लोप होने भी जरूरी हैं। किसी भी जगह पर महज मनमानी ऊँचाई का ब्रेकर नहीं बनाया जा सकता और यदि ब्रेकर में स्लोप होता है तो गाड़ियों के टायर आराम से चढ़ एवं उतर सकते हैं।

ऐसा होने से कार की बॉडी ब्रेकर से नहीं टकराती और स्पीड-ब्रेकर पर मार्किंग भी जरूरी होती है ताकि दूर से ही यह मालूम हो सके कि आगे ब्रेकर बना हुआ है। लेकिन इन नियमों का पालन कहीं भी नजर नहीं आ रहा है।

लोगों को खुद सचेत होना चाहिए

किसी भी जगह पर स्पीड-ब्रेकर का निर्माण पूरे नियमों के अनुसार ही किया जाना चाहिए। इस दौरान आम लोगों को भी इन्हें मनमाने ढंग से बनवाने से बचना चाहिए। जल्द ही नगर निगम से भी चर्चा की जाएगी ताकि वाहन चालकों को इनके कारण परेशानियाँ नहीं उठानी पड़ें।

प्रदीप कुमार शेंडे एएसपी, ट्रैफिक पुलिस

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